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अद्भुत संयोग: चित्रगुप्तवार के पावन दिन पर है रक्षा बंधन व स्वतंत्रता दिवस
"चित्रगुप्तवार के मौके पर भाइयों की कलाई पर सजेगा देशभक्ति से रंगा बहनों का प्यार।"
"भगवान चित्रगुप्त जी के शुभ आशीर्वाद से होगी भाई बहन की रक्षा और देश का उद्धार।।"
(अनिल कुमार श्रीवास्तव)
नोएडा: इस बार भाई-बहन के पावन स्नेह बंधन का महापर्व रक्षाबंधन चित्रगुप्तवार (गुरुवार) के शुभ दिन पर पड़ रहा है। इस दिन सम्पूर्ण जीवधारियों का लेखा जोखा रखने वाले जगत न्यायधीश भगवान श्री चित्रगुप्त की स्तुति, अर्चना कर भाइयों की कलाइयों पर राखी बांधने से बहनों व भाइयों दोनों को बुद्धि, विद्या, यश, कीर्ति मिलने के साथ साथ पीड़ा, दुःख से निजात मिलती है।
रक्षाबंधन कार्यक्रम भगवान चित्रगुप्त का नाम लेकर शुभ मुहूर्त में ही सम्पन्न होना चाहिए, ध्यान रहे भद्राकाल में रक्षासूत्र बांधने से विपरीत प्रभाव पड़ता है। जैसे शनि की वक्र दृष्टि हानि करती है, ऐसे ही शनि की बहन भद्रा, उसका प्रभाव भी नुकसान करता है! अत: भद्राकाल में रक्षासूत्र नहीं बांधना चाहिए!
रावण ने भी भद्राकाल में सुप्रणखा से रक्षासूत्र बंधवा लिया, परिणाम यह हुआ कि उसी वर्ष में उसका कुलसहित नाश हुआ! इस काल में कोई बहन अपने भाई को राखी न बाँधे! भद्राकाल की कुदृर्ष्टि से कुल में हानि होने की सम्भावना की बढती है!
इस बार 15 अगस्त 2019 को शुभ मुहूर्त सुबह 5:49 से आरम्भ होगा जो शाम के 6:10 तक समाप्त हो जाऐगा।
पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6:00 से 7:30बजे, दूसरा शुभ मुहूर्त सुबह 10:30 से दोपहर 3:00बजे तक रहेगा।
श्रावण मास की पूर्णिमा 14अगस्त को दोपहर 3:45 से आरम्भ होगी, जिसका समापन 15अगस्त को शाम 5:58मिनट पर होगा।
"भाई बहन का प्यार,
राखी धागों का त्योहार।
सभी भाई राखी बंधवाएं,
बहनों की सदा लाज बचाएं।"
भारतीय परम्परा में विश्वास का बन्धन ही मूल है और रक्षाबन्धन इसी अटूट विश्वास के बन्धन की अभिव्यक्ति है। रक्षा-सूत्र के रूप में राखी बाँधकर सिर्फ रक्षा का वचन ही नहीं दिया जाता वरन् प्रेम, समर्पणए निष्ठा व संकल्प के जरिए यह पर्व हृदयों को बाँधने का भी वचन देता है। श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला रक्षाबन्धन भारतीय सभ्यता का एक प्रमुख त्यौहार है, जिस दिन बहनें अपनी रक्षा के लिए भाईयों की कलाई में राखी बाँधती हैं। गीता में कहा गया है कि जब संसार में नैतिक मूल्यों में कमी आने लगती है, तब ज्योर्तिलिंगम भगवान शिव प्रजापति ब्रह्मा द्वारा धरती पर पवित्र धागे भेजते हैं, जिन्हें बहनें मंगलकामना करते हुए भाइयों को बाँधती हैं और भगवान शिव उन्हें नकारात्मक विचारों से दूर रखते हुए दुख और पीड़ा से निजात दिलाते हैं।
बड़े सौभाग्य की बात है कि इस बार यह पावन पर्व चित्रगुप्तवार के दिन पड़ रहा है। इस दिन होने वाला हर कार्य सफलता के शिखर पर पहुंचकर सार्थक होता है। पृथ्वी उत्तपत्ति से आज और जब तक यह संसार रहेगा, सभी जीवधारियों के कर्मो का लेखा जोखा रखने वाले नियंताओं के नियंता भगवान श्री चित्रगुप्त हर प्राणी का लेखा जोखा रखते हैं। अक्षरदाता भगवान चित्रगुप्त की आराधना से कलमकार वर्ग (लेखक, पत्रकार, सहित्यधर्मी, शिक्षक, छात्र, जज, वकील, अधिकारी, जनप्रतिनिधि, बाबू, लेखपाल आदि) को सफलता मिलती है।
इस बार राखी का यह त्योहार इस शुभ दिन पड़ने से भगवान चित्रगुप्त के आशीर्वाद से स्नेह की डोर में बंधे भाई-बहनों को सफल, सुखद, स्वस्थ्य व उज्ज्वल भविष्य के साथ दीर्घायु का आशेष भी मिलेगा। प्रयास करे ब्रम्ह-मुहूर्त में स्नानादि कर भगवान चित्रगुप्त की फोटो, मूर्ति आदि का विधिवत श्रंगार कर रखकर श्रद्धाभाव से सामने बैठें। पूजा-अर्चना, स्तुति आदि कर भोर आरती के बाद बहने अपने भाइयों की कलाई में रक्षासूत्र बांधकर अपनी रक्षा का आशीर्वाद लें। प्रयास रहे कि इस दिन वस्त्र पीले पहने। रक्षाबंधन के दिन शाम को सभी भाई-बहन अपने नजदीकी चित्रगुप्त मन्दिरो में जाकर भगवान चित्रगुप्त जी के दर्शन लाभ अवश्य लें। अपने नजदीकी चित्रगुप्त मन्दिरो की संध्या आरती में जरूर शरीक हो यह बड़ी लाभकारी। सम्पूर्ण परिवार के साथ की गई चित्रगुप्तवार की आरती से परिवार में सुखए शांतिए समृद्धि आती है और परिवार खुशहाल रहता है।
(अनिल कुमार श्रीवास्तव)
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