ख्यातिलब्ध समाजसेवी का कोई पुरसाहाल नहीं
सोनभद्र: जनपद के ख्यातिलब्ध साहित्यकार व पत्रकारए संघर्षशील व जुझारू समाजसेवी, लोकतन्त्र सेनानी योगेश शेखर इन दिनों कैंसर जैसे गंभीर रोग से पीड़ीत होकर राबर्ट्स गंज नगर स्थित अपने आवास पर जीवन.मरण से संघर्ष कर रहे है। धनाभाव के कारण अभावग्रस्त जीवन जी रहे श्री शेखर का समुचित इलाज नहीं हो पा रहा है। उनकी इस दशा की ओर परिजनों ने शासन.प्रशासन का ध्यानाकृष्ट कराया। बताते चले कि ष्प्रख्यात साहित्यकार, आचार्य रामचंद्र शुक्ल के पौत्रए योगेश शेखर का जन्म प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र एवं पीएमओ कार्यालय के समीप 31दिसम्बर 1943 ई0 को रविन्द्रपुरी दुर्गाकुण्ड, वाराणसी में आचार्य रामचंद्र जी की कोठी पर हुआ था। वाराणसी एवं इलाहाबाद से उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद सन् 1963 ई0 मे वे राजनीति में सक्रिय हुए और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, डाॅ0 राममनोहर लोहिया, आचार्य नरेन्द्र देवए जय प्रकाश नरायण तथा मुलायम सिंह यादव की सामाजिक राजनीति से प्रभावित रहे। आपातकाल के दौरान अपनी वेवाक रचना धर्मिता तथा सामाजिक सरोकार के कारण पुलिस प्रताड़ना की शिकार होकर योगेश शेखर जी 9 महीने तक मिर्जापुर जेल के तन्हाई सेल में कैद रहे। रिहाई के पश्चात वे पुनः राजनैतिक और सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रूप से जुड़ गए। जिला बनाओं आंदोलन, छात्र आंदोलनए आदिवासी, दलित आंदोलन एवं अन्य सामाजिक सरोकारों से जुड़े रहने एवं इमरजेंसी के दौरान शासन.प्रशासन की प्रताड़नाए जब्ती, कैद का दंश झेलने वाले, साहित्य मनीषी योगेश शेखर अपनी अस्वस्थ्यता में भी जीवन जीते हुये कहते है कि आपातकाल के दौरान सरकार का विरोध करते हुए लोकतंत्र सेनानी स्वेच्छा से जेल गए थे, हमें पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया था। आगे कहते हैं कि आपातकाल राज्य सरकार ने नहीं बल्कि केंद्र सरकार ने लगाया थाए राज्य सरकार ने तो उस दौरान जेल गये जेल यात्रियों को राज्य लोकतंत्र सेनानी का दर्जा प्रदान कर दिया है, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा केंद्रीय लोकतंत्र सेनानी का दर्जा नहीं प्रदान किया गया, जो अतिआवश्यक रूप से किया जाना चाहिए था। योगेश शेखर जी को हाल ही में उनके आवास पर जाकर विन्ध्य संस्कृति शोध समिति, उत्तर प्रदेश द्वारा ष्विन्ध्य रत्न सम्मानष, की उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया गया। इसके पूर्व उन्हें सोनांचल साहित्यकार संस्थान एवं शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्टए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कल्याण परिषद लखनऊए हिन्दी साहित्य सम्मेलन राजभाषा अनुभाग एनटीपीसी रिहन्द, पं0 व्रजभुषण मिश्रए ग्रामवासी.कृपाली संस्थान लखनऊ सहित कई अन्य सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है। ऐसे व्यक्तित्व की ओर जो इस समय बेहद संकट की स्थिति से गुजर रहा है, उसकी ओर जनपद के साहित्यिक, सांस्कृतिक, सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने शासन-प्रशासन का ध्यानाकृष्ट कराते हुये उनके समूचित ईलाज हेतु व्यवस्था सुनिश्चित कराने की अपील की है। साथ ही उनके दिर्घ जीवन की कामना की है।
(साभार- प्रियंका)
swatantrabharatnews.com