व्यंग्य: कर्नाटक के विधायकों की होशियारी!
अनाड़ी फिल्म का एक गीत है-
सब कुछ सीखा हमने न सीखी होशियारी, सच है दुनिया वालों की हम हैं अनाड़ी।
राजनीति में इस गीत का खूब उपयोग होता है। आये दिन विभिन्न राज्यों के विधायक इस गीत का खूब इस्तेमाल करते हैं।
इसका ताजा उदाहरण कर्नाटक में देखने को मिल रहा है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी अमेरिका क्या गये कि वहां उनके कुछ समर्थक विधायकों की चांदी हो गयी।
होशियारी दिखाते हुए झट उन्होंने स्पीकर को इस्तीफा सौंप दिया। स्पीकर ने भी होशियारी दिखाते हुए उनका इस्तीफा तत्काल स्वीकार नहीं किया। वे भी कुमार स्वामी के अमेरिका से वापस लौटने का इंतजार करने लगे। अब कांग्रेस ने भी होशियारी दिखाई है और मल्लिकार्जुन खड़गे को मुख्यमंत्री बनाने की अटकलें तेज कर दी है। भाजपा राजभवन की ओर टक-टकी लगाये बैठी है कि उसे कब होशियारी करने का मौका मिले कि कुमारस्वामी को कुर्सी से बाहर निकाल फेंके। अगर भाजपा को होशियारी करने का मौका राजभवन से मिलता है तो वह वहां तत्काल सरकार बना लेगी।
जाहिर है राजनीतिक दल के लोग सरकार बनाने के लिए उसी तरह टक.टकी लगाये बैठे रहते हैं जैसे सूडान में भुखमरी के वक्त एक गिद्ध एक बच्चे की मौत का इंतजार करते हुए देखा गया था।
जाहिर है उस गिद्ध ने भी अनाड़ी फिल्म से ही होशियारी सीखी होगी। इसी लिए वह भी बच्चे की मौत का इंतजार कर रहा था। वैसे पूर्व के कई विधायकों के बारे में आये दिनों खबरें आती रहती हैं कि विधायक बनने के बावजूद भी उन्होंने न तो घर बनाया और न ही कोई गाड़ी खरीदी। यहां तक कि उनके बच्चे भी बेरोजगार ही रहे। वर्षो पुरानी बात है त्रिपुरा में एक पूर्व सांसद होटल में गिलास धोता हुआ मिला था। पूछने पर इंकार करता था कि वह कभी सांसद भी रहा था। जाहिर है उसने जीवन में होशियारी नहीं सीखीए इसलिए पूर्व सांसद होने के बावजूद होटल में गिलास धोने का काम करता था।
आज के विधायक बहुत होशियार हो गये हैं। मुख्यमंत्री की कुर्सी देने की सेवा के बदले में मेवा का इंतजार करते रहते हैं। अगर उन्हें मेवा नहीं मिला तो मुख्यमंत्री की कुर्सी जड़ से उखाड़ सकते हैं। होशियारी का ही प्रतिफल है कि झारखंड में एक निर्दलीय विधायक भी मुख्यमंत्री की कुर्सी तक जा पहुंचा था। उस मुख्यमंत्री ने होशियारी से बढ़कर अतिरिक्त होशियारी का जलवा बिखेरा और मुख्यमंत्री आवास में रूपये गिनने की मशीन रख ली थी। जाहिर है होशियार मुख्यमंत्री सीएम आवास में रूपये गिनने की मशीन भी रखता है।
किसी भी विधायक को रूपये की जरूरत हो तो तत्काल मशीन से गिनकर दे देता है। अगर किसी से रूपये लेने हो तो तत्काल गिनकर अपने पास रख भी लेता है। हालांकि बिहार में भोला पासवान शास्त्री चार बार मुख्यमंत्री बने लेकिन कुर्सी से उतरने ही उन्हें लोगों ने रिक्शे पर चलते हुए देखा। त्रिपुरा में पूर्व मुख्यमंत्री नृपेन चक्रवर्ती ने जब सीएम आवास खाली किया तो उनका सामान एक रिक्शे में अट गया था और वे रिक्शे के पीछे पैदल चलते हुए सीएम आवास से विदा हुए थे। आज का विधायक अगर सरकारी आवास खाली करे तो उसे कई ट्रªकों की जरूरत पड़ती है सामान अपने घर ले जाने के लिए।
वैसे मेरा मानने है कि कई राज्यों में सरकारें ठेले पर चलती है। जबतक वहां का सीएम ठेले को ठीक से ठेल सकता है वहां सरकार चलती रहती है। हालांकि सरकार के ठेले को पंक्चर करने के लिए भी कई विधायक लगे रहते हैं और जब ठेला पंक्चर हो जाता है तो सरकार गिर जाती है। इसे ही कहते हैं होशियारी। जाहिर है आज के विधायक अनाड़ी फिल्म के उस गीत से अच्छी तरह प्रभावित हैं।
(नवेन्दु उन्मेष,पत्रकार)
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