कुछ देर पहले नरेंद्र मोदी बोले - बदइरादे और बदनीयत से कोई काम नहीं करूंगा
लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी ने प्रचंड जीत दर्ज करते हुए पिछली बार से भी बड़ा बहुमत हासिल किया है।
यानी
यह तय हो गया है कि नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री होंगे।
(साभार- मल्टी मीडिया/ Getty image)
नई-दिल्ली: निर्वाचन आयोग ने 390 सीटों पर जीत हासिल करने वाले प्रत्याशियों की घोषणा कर दी हैण् इनमें से बीजेपी को 239 सीटें मिली हैं, जबकि 64 सीटों पर उसके प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। कांग्रेस ने 39 सीटें जीत ली हैं और 13 पर उसके प्रत्याशियों को बढ़त हासिल है।
शिवसेना ने 10, एनसीपी ने चार, टीआरएस ने आठ, जनता दल यूनाइटेड ने 15 सीटें जीती हैं।
भाजपा राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली में क्लीन स्वीप की ओर बढ़ रही है और उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार में बहुचर्चित विपक्षी गठबंधन को उसने धूल चटा दी है।
क्या बोले नरेंद्र मोदी
देशवासियों 2014 में आप मुझे ज़्यादा जानते नहीं थे। लेकिन मुझे जानने के बाद आपके समर्थन में और ताक़त आई है। मैं इसके पीछे की भावना को भली-भांति समझता हूँ, जैसे अमित भाई कह रहे थे कि, बहुत वर्षों बाद एक चुनी हुई सरकार दूसरी बार पूर्ण बहुमत और पहले से अधिक ताक़त से जीतकर आए। इसका मतलब देश की जनता का बड़ा भरोसा है। भरोसा जैसे बढ़ता है, ज़िम्मेदारी ज़्यादा बढ़ती है।
देशवासियों ने मुझे जो दायित्व दिया है, इसे मेरा वादा, संकल्प या प्रतिबद्धता मानिए, आपने फिर से मुझे जो काम दिया है, आने वाले दिनों में भी मैं बदइरादे से या बदनीयत से कोई काम नहीं करूंगा। काम करते.करते ग़लती हो सकती है लेकिन बद-इरादे या बद-नीयत से कोई काम नहीं करूंगा। आपने मुझे इतना बड़ा भरोसा दिया है कि मैं मेरे लिए कुछ नहीं करूंगा।
मेरे समय का पल-पल, मेरे शरीर का कण-कण सिर्फ़ और सिर्फ़ देशवासियों के लिए है। मेरे देशवासी जब भी मेरा मूल्यांकन करें, इन तीन तराजू पर मुझे कसते रहना। कोई कमी रह जाए तो मुझे कोसते रहना। मैं सार्वजनिक तौर पर जो बातें कहता हूँ, उसे जीने के लिए पूरे प्रयास करूंगा।
2019 से 2024 का कालखंड देश की आज़ादी के सिपाहियों का स्मरण करने का है। हम 130 करोड़ लोग संकल्प करें कि देश को सभी मुसीबतों से मुक्त करके समृद्ध राष्ट्र बनाना है और ग़रीब से ग़रीब की सामान्य आवश्यकताओं को पूरा करना है तो 2024 से पहले देश को हम नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। और इसलिए इस चुनाव को हमें नम्रता से स्वीकारना है। सरकार तो बहुमत से बनती है, जनता ने बना भी दी। लेकिन लोकतंत्र का संस्कार और उसका स्पिरिट हमें ज़िम्मेदारी देता है कि सरकार भले ही बहुमत से बनती हो लेकिन देश सर्वमत से बनता है।
मैं सार्वजनिक रूप से कहता हूं, चुनाव में कौन क्या बोला, मेरे लिए वो बात बीत चुकी है। हमें आगे देखना है, सबको साथ लेकर चलना है। हमारे घोर विरोधियों को भी साथ लेकर चलना है। प्रचंड बहुमत के बाद भी पूरी नम्रता के साथ, लोकतंत्र की मर्यादाओं के बीच चलना है। संविधान हमारा सुप्रीम है, उसी की छाया में हमें चलना है।
भारत की जनता ने एक नया नैरेटिव सामने रख दिया है। सारे समाजशास्त्रियों को पुरानी सोच पर विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है। वो नैरेटिव ये है कि देश में अब सिर्फ़ दो जाति बचेंगी। ये जाति के नाम पर खेल खेलने वाले लोगों को बहुत बड़ा प्रहार हुआ है। ये दो जातियां हैं- ग़रीब और दूसरी जाति है- देश को ग़रीबी से मुक्त करने के लिए अपना योगदान देने वालों की। एक वो हैं जो ग़रीबी से बाहर आना चाहते हैं, दूसरे वे हैं जो देश को ग़रीबी से मुक्त कराना चाहते हैं।
तीस साल से देश में, विशेष रूप से, वैसे ये ड्रामेबाज़ी तो लंबे समय से चल रही है- एक टैग था, जिसका नाम था सेक्युलरिज्म, जिसका चोला ओढ़ते ही सारे पाप दूर हो जाते थे। नारे लगते थे कि सारे सेक्युलर एक हो जाओ। आपने देखा होगा कि 2014 से 2019 आते आते उस पूरी जमात ने बोलना ही बंद कर दिया। इस चुनाव में एक भी राजनीतिक दल सेक्युलरिज़्म का नकाब पहनकर देश को गुमराह करने की हिम्मत नहीं कर पाया।
वो बेघर जो आज पक्के घर में रहने गए हैं, यह उनकी विजय है और जिनकी 2022 तक घर बनना तय है, उनकी विजय है। यह मध्यवर्ग के उन परिवारों की विजय है जो नियम कानूनों का पालन करते हुए टैक्स देता रहा। पांच साल में उसने अनुभव किया कि उसका टैक्स सही काम आ रहा है। उस मध्यवर्ग के मन का संतोष इस चुनाव में नज़र आ रहा है।
(साभार: बीबीसी न्यूज़)
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