
04 अप्रैल: युग पुरुष पण्डित माखनलाल चतुर्वेदी की 131वी जयंती मनाई गई
चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ....
संत कबीर नगर: प्रभा देवी स्नाकोत्तर महाविद्यालय में शिक्षक प्रशिक्षण विभाग द्वारा कवि, पत्रकार, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी युगपुरुष पण्डित माखनलाल चतुर्वेदी की 131वी जयंती मनाई गई।
डॉ• प्रमोद कुमार त्रिपाठी की अध्यक्षता व श्री रितेश त्रिपाठी के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए स्वतंत्र पत्रकार नवनीत मिश्र ने कहा कि, "स्वतंत्र संग्राम में पं• माखनलाल चतुर्वेदी ने यह साबित किया कि विचार की शक्ति, जन, बल और धनबल से अधिक होती है। उन्होने आजादी की लड़ाई में पत्रकारिता और साहित्य को प्रभावशाली वैचारिक अस्त्र के रूप में इस्तेमाल किया।"
"पुष्प की अभिलाषा"
चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक!
इस कविता में सीधी और सरल पंक्तियों से देश प्रेम की भावना के प्राण फूंक दिए। पं• माखनलाल चतुर्वेदी ने जीवन भर जिन आदर्शों को जिया, "वे आज भी साहित्य और पत्रकारिता के आत्मतत्व हैं।"
इस अवसर पर डॉ• रमेश कुमार, आलोक सिंह, विनोद मिश्रा समेत अनेक लोगों ने उनके साहित्यिक अवदानों पर प्रकाश डाला।
(नवनीत मिश्र)
swatantrabharatnews.com