मैथिली ठाकुर जो खुदबखुद अपडेट हो रही.
हर कलाकार अपनी कला को निखारने का निरंतर प्रयास करता रहता है। इसमें से कुछ अलग होते हैं, जो खुद एक्सपेरिमेंट के ऐसे दौर को पार कर जाते हैं, जहां से किसी प्रयास या रियाज की जरूरत उन्हें नहीं पड़ती। वो खुदबखुद अपडेट होते रहते हैं।
ऐसी ही एक गायिका है मैथिली ठाकुर। वो गाती हैं तो ऐसे लगता है जैसे गाने को कुछ बचा ही ना हो।
शास्त्रीय संगीत, मिथिला और अन्य लोकभाषाओं की जानी-मानी गायिका मैथिली ठाकुर ने अपनी उपलब्धियों की सूची में एक नया कीर्तिमान जोड़ा है।
जी हां, देश की पहली पंक्ति के शास्त्रीय गायक की टोली में मैथिली शामिल हो गयी है। दरअसल, आकाशवाणी ने मैथिली ठाकुर के शास्त्रीय संगीत को प्रसारित करने का 99 साल के लिए अनुबंध किया है, जिसकी रिकॉर्डिंग 10 जुलाई को की गयी। अब अगले 99 साल तक यह रिकॉर्डिंग बेगम अख्तर की तरह ही आकाशवाणी प्रसारित करेगी। इतनी कम उम्र के किसी भी गायिका से आकाशवाणी ने इस तरह का अनुबंध पहली बार किया है।
बचपन में, मैथिली ठाकुर गाना नहीं चाहती थीं। वो सोचती थीं, "क्यों करना है"?- आज, बिहार के मधुबनी की 18 साल की ये युवा मैथिली संगीत की दुनिया के साथ-साथ सोशल मीडिया की भी सनसनी हैं। मैथिली का यू-ट्यूब पर 5.40 लाख, 9 लाख से ज्यादा लाइक्स वाला फेसबुक वेरीफाइड पेज और इंस्टाग्राम पर 2.66 लाख फाॅलोअर वाला वेरीफाइड हैंडल है।
मैथिली राइजिंग स्टार में अपने अनुभव को याद करती हैं। उनका कहना है कि उन्होंने वहां हर किसी से कुछ ना कुछ सीखा, चाहे वो मेंटर्स हों या दूसरे पार्टिसिपेंट, "मुझे खासकर ये बात पसंद आती थी कि ये अनएडिटेड था और जो कुछ भी हुआ वो सब ब्राॅडकास्ट हुआ। ये एक अच्छा अनुभव था और मैंने इससे बहुत कुछ सीखा"।
अब दिल्ली में द्वारका की निवासी बन चुकीं मैथिली एक संगीत-प्रेमी परिवार से हैं।
उनके पिता और दादा दोनों गायक रहे और उनके दो छोटे भाई अब परफॉर्मेंस के दौरान मंच पर उनके साथ होते हैं- एक तबलावादक के रूप में और दूसरा गायक के रूप में। मैथिली का कहना है कि वो जो कुछ भी जानती हैं, उनके पिता रमेश ठाकुर का सिखाया हुआ है। अब वो उनके करियर को मैनेज करते हैं। "बड़ी भीड़ एक मोटिवेटिंग फैक्टर है"।
मैथिली ने तीन साल की उम्र में संगीत की ट्रेनिंग लेनी शुरू की और वो 11 साल की उम्र से परफॉर्मेंस कर रही हैं। अब वो पूरे भारत में शो करती हैं और नवंबर महीने में पूरे देश में उनके 20 म्यूजिकल इवेंट तय हैं।
मैंने अपने शो के लिए कोयंबटूर, असम और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों की यात्रा की है। शुरू में मैं फ्लाइट में चढ़ने को लेकर बहुत रोमांचित होती थी कि ऊपर से सब कुछ दिखता है। अब, मैं इसकी आदी हो चुकी हूं क्योंकि कभी-कभी एक हफ्ते में मुझे चार फ्लाइट लेनी होती है। वो हंसती हैं।
गायिका मैथिली के लिए अगली मंजिल विदेश यात्रा है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के आत्माराम सनातन धर्म कॉलेज में बीए प्रोग्राम की फर्स्ट ईयर की स्टूडेंट मैथिली का कहना है कि हर कोई उनसे एक सेलेब्रेटी की तरह बर्ताव करता है और उनके साथ बहुत अच्छी तरह पेश आता है।
फिलहाल, मैथिली का लक्ष्य सोशल मीडिया पर अपनी पहचान बनाना है और अपनी प्रतिभा के प्रदर्शन के लिए सभी प्लेटफाॅर्मों का बेहतर इस्तेमाल करना है।
लेकिन मैथिली के लिए ये सब इतना आसान नहीं था। यहां तक पहुंचने की राह में कई बार फाइनेंशियल प्राॅब्लम उन्हें झेलनी पड़ी और दिल्ली आने के बाद उन्हें कई बार घर बदलना पड़ा।
मैथिली कहती हैं, "मुझे कई संगीत निर्देशकों, यहां तक कि विशाल ददलानी का भी फोन आ चुका है और उन्होंने मुझसे कहा है कि जब कभी मुंबई जाऊं तो उनसे मिलूं। हमारी योजना अगले साल मुंबई शिफ्ट हो जाना और म्यूजिक स्टूडियो के साथ काम करना, बॉलीवुड के लिए गाना गाना है। एक स्ट्रगलर के रूप में ऐसा करना बहुत मुश्किल होता, क्योंकि मुंबई में पांव जमा पाना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन अब मुझे लगता है कि मैं ये कर सकती हूँ।
लेकिन मैथिली का सपना बॉलीवुड में एक प्लेबैक सिंगर बनने से जुदा है। "मैं चाहती हूं कि लोग मेरा नाम सुनें और कहें, जी हां, हम हमेशा मैथिली के गाने सुनते हैं। बॉलीवुड में इतने सारे गायक हैं, लेकिन आप उन सभी के नाम नहीं जानते। मुझे ये नहीं चाहिए। मैं चाहती हूं कि मेरी अपनी पहचान हो।
अपनी गायकी के लिए मशहूर मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी में हुआ। मैथिली बचपन से ही संगीत के वातावरण में पली बड़ी हैं। इनके पिता का नाम रमेश ठाकुर है, जो संगीत के टीचर हैं और इनकी माता का नाम पूजा ठाकुर हैं। इनके परिवार में मैथिली के अलावा एक बड़ा भाई रिषभ ठाकुर व छोटा भाई अयाची ठाकुर हैं। मैथिली की प्रारंभिक शिक्षा बाल भवन इंटरनेशनल स्कूल से पूरी हुई। अभी मैथिली 19 साल की होने वाली हैैं और दिल्ली के आत्माराम सनातन धर्मं कॉलेज से अपनी पढाई पूरी कर रही हैं।
संगीत इन्हें अपने परिवार की ओर से विरासत में मिला हैं। मैथिली को बचपन से ही संगीत का शौक था और उन्होंने गायन शुरू कर दिया था। जब मैथिली 4 वर्ष की थी तभी इनके दादाजी ने इन्हें संगीत सिखाना शुरू कर दिया था। इनके छोटे भाई अयाची भी साथ में संगीत सीख रहे हैं। परिवार में मैथिली को प्यार से सब तन्नु, आयाची को हब्बू और सबसे बड़े भाई रिषभ को सन्नी बुलाते हैं। मैथिली को संगीत में पुर्या धनाश्री राग सबसे ज्यादा प्रिय हैं।
अनिल "अनूप"
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