31.jpg)
भारत को अब चुप नहीं बैठना चाहिए: अनिल अनूप
लखनऊ: भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ़ के क़ाफ़िले पर हुए धमाके में मारे गए जवानों में से एक हवलदार सुखजिंदर सिंह भी हैं। 76वीं बटालियन के सुखजिंदर सिंह पंजाब के तरनतारन ज़िले के गंडिविंड धत्तल के हैं।
उन्होंने धमाके से चार घंटे पहले अपनी पत्नी और भाई से बात की थी। वह श्रीनगर जाने वाली बस में सवार हुए थे जो बाद में धमाके की चपेट में आई।
सुखजिंदर सिंह के पिता गुरमेज सिंह ने कहा, "सुखजिंदर ने मेरे बड़े बेटे गुरजंत से बात की थी और बताया था कि वह अपनी मंज़िल से सिर्फ़ चार घंटे की दूरी पर है और तीन बजे तक पहुंच जाएगा जिसके बाद दोबारा फ़ोन करेगा।"
सुखजिंदर के पिता ने बताया कि मायके गई उसकी पत्नी सरबजीत कौर से भी उन्होंने बात की थी।
12 जनवरी 1984 को पैदा हुए सुखजिंदर 19 साल की उम्र में सीआरपीएफ़ में शामिल हुए थे और हाल ही में हवलदार के पद पर पहुंचे थे।
सुखजिंदर के पीछे उनकी पत्नी सरबजीत कौर, सात माह का बेटा गुरजोत सिंह और उनके पिता एवं भाई रह गए हैं।
सुखजिंदर के बड़े भाई गुरजंत सिंह ने कहा कि उन्होंने टेलीफ़ोन पर अपने परिवार के हाल के बारे में और मेरी दिनचर्या के बारे में पूछा था।
उन्होंने कहा कि, वह बस में सफ़र कर रहे हैं और श्रीनगर पहुंचने पर दोबारा फ़ोन करेंगे।
सुखजिंदर के भाई ने गुस्से में कहा, "भारत को अब चुप नहीं बैठना चाहिए, उन्होंने "चरमपंथियोंद" बस में सफ़र कर रहे निहत्थे जवानों पर हमला किया अगर उनमें हिम्मत है तो वह सामने से आकर चुनौती दें, यही समय है कि हमारे नेता सोचें कि इतनी जानें खोने के बाद पाकिस्तान से निपटने के लिए हमें कौन सी नीति अपनानी चाहिए।
बिहार के दो जवान भी मारे गए
पुलवामा चरमपंथी हमले में मारे गए 40 से अधिक जवानों में से दो बिहार के हैं।
इनमें से एक जवान रतन कुमार ठाकुर भागलपुर के कहलगांव स्थित रतनपुर काे रहने वाले थे, जबकि दूसरे जवान संजय कुमार सिन्हा पटना के तारेगना मठ के रहने वाले थे।
राजधानी पटना से क़रीब 35 किमी दूर तारेगना मठ मसौढ़ी के आस-पास है।
सुबह के अख़बारों और टीवी चैनलों के ज़रिए पटना ज़िले के लोगों को ये जानकारी मिल चुकी थी कि शहीद जवानों में से एक संजय पटना के लाल थे।
तारेगना मठ के रहने वाले संजय कुमार सिन्हा सीआरपीएफ़ की 176वीं बटालियन में हवलदार थे।
उनके पिता किसान हैं। घर में माता-पिता के अलावा संजय की दो बेटियां और एक बेटा है।
उनकी पत्नी शकुंतला देवी बताती हैं कि गुरुवार को उनके पति संजय की एक मिस्ड कॉल आई था। मगर जब उन्होंने ख़ुद फ़ोन लगाना चाहा तो कभी नहीं लगा।
रात नौ बजे तक शकुंतला देवी को सीआरपीएफ़ ने सूचना दी कि उनके पति अब "शहीद" हो गए हैं।
तब से घर में चीख-पुकार और मातम का माहौल हैण् रिश्तेदारों और आस-पास के लोगों का मजमा लगा हुआ है।
गांव और आस-पास के नौजवान संजय के घर के बाहर "पाकिस्तान मुर्दाबाद और भारत सरकार होश में आओ" के नारे लगा रहे थे।
संजय की दो बेटियां रूबी और वंदना हैं। वहीं, बेटा सोनू राजस्थान के कोटा में मेडिकल की तैयारी कर रहा है। पिता को दोनों बेटियों की शादी की चिंता थी।
बिलखते हुए पत्नी शकुंतला बताती हैं। आठ दिन पहले जब घर आए थे तो बड़ी बेटी की शादी के लिए बात करके गए थे। अबकी रिश्ता तय करने के लिए आने वाले थे।
यह सब कहते हुए शकुंतला फिर से चीख़ कर रोने लगती हैं। रोते हुए ही कहती हैं, अब हमारी दोनों बेटियों की शादी कैसे होगी"।
संजय के पिता महेंद्र प्रसाद ख़ुद होमगार्ड में रह चुके हैं। वह कहते हैं, बेटा तो वीरगति को प्राप्त हुआ है। आतंकियों के हमले में उसने जान दी है बेटे को तो नहीं लौटा पाएगा कोई।
महेंद्र कहते हैं, "संजय ने 1993 में सीआरपीएफ़ ज्वाइन किया था। पिछले 26 सालों से उसने इस देश और परिवार की सेवा की है। अब सरकार को उसका ध्यान देना चाहिए। दोनों बेटियां की शादी करा दी जाए। लड़का जो कोटा मे मेडिकल की तैयारी कर रहा है उसकी भी आगे की पढ़ाई-लिखाई और नौकरी का प्रबंध सरकार को करना चाहिए।"
महेंद्र प्रसाद कहते हैं, "पिछली बार आया था तो बोला था कि जहां बड़की की शादी की बात चल रही है वहां जाकर एक बार पैसा-रुपया की बात करना बाक़ी है। उसका नागालैंड ट्रांसफ़र होने वाला था। बोला था कि ट्रांसफ़र की छुट्टियों में आउंगा तो बड़की की शादी फाइनल कर दूंगा।
संजय के घर के बाहर स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों और नेताओं का लगातार आना जाना हो रहा है।
वहीं, बिहार के दोनों जवानों संजय और रतन को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को पटना में श्रद्धांजलि अर्पित की। बिहार सरकार ने अपने यहां के मारे गए दोनों जवानों के आश्रितों को 11-11 लाख रुपए की भी घोषण की है।
swatantrabharatnews.com