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29दिसम्बर- पन्त की पुण्य-तिथि एवम् स्वागत समारोह आयोजित
हिंदी साहित्य के "वर्ड्सबर्थ" है सुमित्रानंदन पंत.....
नवनीत मिश्र, स्वतंत्र पत्रकार
संत कबीर नगर: हिंदी साहित्य के "विलियम वर्ड्सबर्थ" कहे जाने वाले प्रकृति के सुकुमार कवि, छायावाद के प्रमुख स्तंभ, प्रकृति के कुशल चितेरे कवि पं• सुमित्रानंदन पंत की पुण्य-तिथि के उपलक्ष मे प्रभा देवी स्नाकोत्तर महाविद्यालय, खलीलाबाद के सभागार में आयोजित एक समारोह में वक्ताओं ने गुजरते हुए साल को विदा करते हुए पंत जी की उम्मीद भरी कविताओं के जरिए उन्हे याद करते हुए पढ़ा______
नवल हर्षमय नवल वर्ष यह,
कल की चिन्ता भूलो क्षण भर,
लाला के रँग की हाला भर
प्याला मदिर धरो अधरों पर !
फेन-वलय मृदु बाँह पुलकमय
स्वप्न पाश सी रहे कंठ में,
निष्ठुर गगन हमें जितने क्षण
प्रेयसि, जीवित धरे दया कर।।
समारोह का शुभारंभ महाविद्यालय की प्रबंधक श्रीमती पुष्पा चतुर्वेदी ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया।तत्पश्चात एम• ए• गृह विज्ञान अन्तिम वर्ष की छात्राओं ने प्रथम वर्ष की छात्राओं को टीका लगाकर एवम् केक खिला कर स्वागत किया।
महाविद्यालय की प्रबंधक श्रीमती पुष्पा चतुर्वेदी ने सभी छात्राओं का अभिनंदन करते हुए उन्हें नव-वर्ष की शुभकामनाएं दी और उन्हें कड़ी मेहनत, अनुशासन व एकाग्रमन के साथ पढाई करने और अपने लक्ष्य के लिए निरंतर प्रयासरत रहने के लिए प्रेरित किया।
प्राचार्य डाक्टर प्रमोद कुमार त्रिपाठी ने कहा कि छायावादी युग के प्रवर्तकों में सुमित्रानंदन पंत का नाम प्रमुख रूप से लिया जाता है। इनकी कविता में ना सिर्फ छायावादी प्रवृत्ति वरन् अपने समय में विकसित विचारधाराओं का वरण दिखाई देता है।
समारोह को संबोधित करते हुए श्रीमती राज श्री चतुर्वेदी व अन्य वक्ताओं ने सभीको "नव-वर्ष" की हार्दिक शुभकामनाएँ देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती संगीता सिंह ने किया तथा इस अवसर पर श्री रितेश त्रिपाठी, विनोद कुमार मिश्र, मनीष त्रिपाठी, पी0एन0विश्वकर्मा, दीपक सिंह, उमेश सिंह, श्रीमती शैल कुमारी, सुश्री सोनी पांडेय, मनीष सिंह सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
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