विशेष: मानवाधिकार: अपने अधिकारों से कोई न रहे वंचित: नवनीत मिश्र
- मानवाधिकार दिवस पर परिचर्चा
संत कबीर नगर: विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर प्रगति सेवा संस्थान के कार्यालय में परिचर्चा का आयोजन श्रीमती अनुसिया सिंह की अध्यक्षता में की गया। संस्थान के सदस्यों को संबोधित करते हुए राज्य समन्वयक श्री नवनीत मिश्र ने कहा कि पूरे विश्व में 10 दिसंबर 1948 से ही मानवाधिकार दिवस मनाया जा रहा है। अगर किसी भी व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक अथवा आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जाता है, तो यह मानवाधिकार का उल्लंघन है। संविधान के द्वारा सभी व्यक्ति को अपनी स्वेच्छा के अनुसार कहीं भी रहने, अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने समेत विभिन्न प्रकार का अधिकार प्रदान किया गया है।
अगर किसी भी व्यक्ति द्वारा इन अधिकारों पर अंकुश लगाने का प्रयास किया जाता है तो वह मानवाधिकार का उल्लंघन है। यदि किसी भी ब्यक्ति के द्वारा मानव के अधिकारों की रक्षा के लिए मानवाधिकार आयोग की स्थापना की गयी है। साथ ही पूरे देश में मानवाधिकार की रक्षा के लिए कई सरकारी और गैर सरकारी संगठन भी कार्यरत हैं। हम सब को मानवाधिकार की रक्षा के लिए प्रयास करना चाहिए तथा मानव के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाना चाहिए।
श्री मिश्र ने मानव के जन्म से प्राप्त अधिकारों पर चर्चा करने के अलावे अधिकारों के हनन व उसके रोक पर सुझाव दिया। संस्थान की ओर में मानव अधिकार की रक्षा के लिए कई कदम उठाये गये हैं।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री रितेश त्रिपाठी ने कहा कि आज भी लोगों को अपने अधिकारों के बारे में समुचित जानकारी नहीं है। नतीजतन ये लोग अपने हक से वंचित रह जाते हैं।
उन्होंने मानवाधिकार दिवस पर मुहिम चलाते हुए कहा कि लोगों को अपने अधिकार के बारे में समझना बेहद जरूरी है।
इन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकार घोषणा पत्र को मान्यता दी गई, तभी से मानवाधिकार दिवस हर साल मनाया जाता है।
भारत में 28 सितंबर 1993 से मानव अधिकार कानून अमल में 12 अक्टूबर 1993 में ही राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग का गठन किया गया था।
कार्यक्रम का संचालन श्री बी 0एन 0शर्मा ने किया। इस अवसर पर इस अवसर पर सुनील मिश्रए संदीप पांडेय, विवेक मिश्र, मनोरथ यादव समेत दर्जनों सदस्य मौजूद थे।
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