
लहू बोलता भी है: जंगे आजादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार-
- आइए जानते हैं, जंंगे आजादी ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- मौलाना मोहम्मद सादिक कराची को....
मौलाना मोहम्मद सादिक़ कराचवी:
मौलाना मोहम्मद सादिक मुहल्ला कड़ा शहर (कराची) के रहनेवाले थे। आप मौलाना उबैदुल्लाह सिंधी के करीबी दोस्तों में से थे और तहरीके-आज़ादी में सरगर्म हिस्सा लेते थे। इलाके में आपकी बहुत इज़्ज़त थी। आपके हुक्म पर बड़ी तादात में लोग तहरीक में शामिल होते थे।
ब्रिटिश हुकूमत ने जंगे-अज़ीम में जब इराक़ पर हमला किया तो मौलाना सादिक़ साहब ने अपने क़बायली इलाकों में बग़ावत कराकर अंग्रेज़ फ़ौजियों के रास्तों की नाकाबंदी करा दी, जिसकी वजह से ब्रिटिश फ़ौज फंस गयीं और वह बसरा न जाकर पहले बग़ावत को काबू करने में लग गयी। इस बीच तुर्की ने अपनी पोज़िशन मज़बूत कर ली।
बग़ावत पर काबू पाने के बाद जब अंग्रेजी़ फ़ौज बसरा पहुंची तो उसे तुर्की और इराक के बीच में ही घेर लिया गया। ब्रिटिश फ़ौज को मजबूरन हथियार डालना पड़ा। काफी तादात में फ़ौजी मारे भी गये। इस हादसे से ब्रिटिश हुकूमत को ज़बरदस्त हार का मुंह देखना पड़ा।
बलूचिस्तान के कबाइली इलाके की बग़ावत मौलाना सादिक साहब ने ही करायी थी। इस इल्ज़ाम में आपको गिरफ़्तार कर लिया गया। जब जंगे-अज़ीम खत्म हुई, तब आपको रिहा किया गया। आप ख़िलाफ़त कमेटी और जमाते-उलमा.ए-हिन्द के सिंध के सदर भी रहे। आपने हिन्दुस्तान की जंगे-आज़ादी में भरपूर हिस्सा लिया। आपका इन्तकाल 18 जून सन् 1953 को हुआ।
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