खतरे में बचपन!
संत कबीर नगर: बच्चे को बेहतर शिक्षा दिलवाने की होड़ में उनकी सुरक्षा की तरफ निजी स्कूलों और अभिभावकों की ओर से ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए वाहन की सुविधा देने के चक्कर में उनके जीवन को खतरे में डाल देते हैं।
संत कबीर नगर में भी कुछ ऐसा ही मंजर रोज देखने को मिलता है, जहां पर मारुति वैन, टाटा मैजिक, ऑटो में स्कूली बच्चों को ठूंस.ठूंस कर भरा जा रहा है। इनमें अधिकतर निजी वाहन हैं।
ओवरलोडिंग यातायात पुलिस की नाक के नीचे हो रही है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होती। बच्चों को स्कूल लाने और घर छोड़ने के लिए लगाई अधिकतर वैन निजी नंबर की हैं व उनका कोई टैक्सी परमिट भी नहीं है। ऐसे में सरकार को हर माह हजारों का चूना भी लग रहा है। संत कबीर नगर में ही दर्जनों निजी नंबर के वाहन बच्चों को स्कूल लाने और ले जाने के काम में लगाए गए हैं। खास बात यह है कि अभिभावकों को भी यह जानकारी है कि उनका बेटा वाहन पर लटककर जाता है। इसके बाद भी वे ध्यान नहीं देते हैं। अगर कोई हादसा होता है तो फिर प्रशासन को और वाहन चालक को कोसते हैं।
आठ सीटर गाड़ी में 15 बच्चे
स्कूल लाने और घर ले जाने के लिए लगाई गई वैन में बच्चों की दशा देखकर किसी का भी मन पसीज जाएगा। जिस वैन में आठ लोगों के बैठने की जगह है, उनमें पंद्रह से अधिक बच्चों को ठूंसा जाता है। साथ में उनके स्कूल बैग भी होते हैं, जिन्हें या तो गाड़ी के ऊपर रख देते हैं या बच्चों को हाथ में पकड़ कर बैठना पड़ता है।
यह सब कुछ स्कूल प्रबंधन के सामने होता है, लेकिन शायद ही कभी किसी ने उन्हें रोकने का प्रयास किया हो। बच्चे स्कूल वाहनों के पीछे और दाएं व बांय लटककर जाते हैं। यही नही वाहन की डिग्गी में भी बैठते हैं स्कूली बच्चे।
मुखयालय से लेकर ग्रमीण क्षेत्रों मे स्थित में स्कूल वाहनों मे क्षमता से अधिक बच्चों को बिठाया जाता है। इन वाहनों की कभी भी न तो पुलिस चेकिंग करती है और न ही परिवहन विभाग ध्यान दे रहा है। परिवहन विभाग तो वर्षों से यहाँ दिखाई नहीं दिया। हाँ कभी कभार जाँच के नाम पर खाना पूर्ति कर ली जती है। यही वजह है कि स्कूली वाहन संचालक मनमानी कर बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं।
नवनीत मिश्र
swatantrabharatnews.com