13.jpg)
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल- राम नाइक के आदेश को संवैधानिक शक्ति का दुर्पयोग बताते हुए रद्द किया
- ऐसे मामले "अदालत के विवेक को झटका देते हैं" जो राज्यपाल के फैसले को खत्म/रद्द करने के लिए बाध्य करते हैं: सुुुप्रीम कोर्ट
नई-दिल्ली: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के राज्यपाल- राम नाइक द्वारा गोरखपुर के एक हत्या-अभियुक्त (Convicted for four murders) के प्रीमेच्योर रिहाई के आदेश/विवेकाधिकार को स्वीकार करने से इंकार करते हुए रद्द कर दिया।
जस्टिस एन वी रमन और एम एम शांतनागौदर की एक पीठ ने कहा कि ऐसे मामले "अदालत के विवेक को झटका देते हैं", जो राज्यपाल द्वारा उठाए गए फैसले को खत्म/रद्द करने के लिए बाध्य करता है।
खण्डपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि ऐसे अभियुक्तों को प्रीमेच्योर कैसे रिहा किया जा सकता है जिसे आजीवन कारावास दिया गया हो तथा अपराधी ने जेल में मात्र सात साल की सजा पूरी की हो।
मार्कण्डे शाही द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि राज्यपाल ने एक व्यक्ति को रिहा करने तथा उसकी सजा को माफ करने के लिए अपनी संवैधानिक शक्ति का उपयोग किया था, जिसे चार हत्याओं के लिए दोषी पाया गया है और पहले से ही गंभीर अपराधी है। सिर्फ इतना ही नहीं, उस अभियुक्त को माफ़ी दे दी गई है जिसकी सजा के खिलाफ अपील पहले ही उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित थी तथा जब यह अभियुक्त जमानत पर था, तो वह चार अन्य आपराधिक मामलों में शामिल हो गया।
जब इस प्रकार के आदेश अदालत के विवेक को झटका देते हैं तो हम हस्तक्षेप करने के लिए बाध्य हो जाते हैं।
हमें नहीं पता कि यह क्यों किया जाना चाहिए। हम कुछ और नहीं कहना चाहते हैं।
शाही के पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील अमरेंद्र शरण ने बेंच के समक्ष प्रस्तुत किया था कि राज्यपाल को अपनी शक्ति प्रयोग करने से पहले कारण नहीं बताना होता है। शरण ने यह भी कहा कि उनका मुवक्किल विभिन्न बीमारियों से भी ग्रसित था। परन्तुु न्यायालय पर इसका कोई असर नहीं हुआ।
(साभार- मल्टीमीडिया)
swatantrabharatnews.com