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काशी में 25 से 27 नवम्बर तक चलने वाले परम् धर्म संसद ने सरकार पर विकास के नाम पर सैकड़ों मंदिरों को तोड़ने और छद्म हिन्दूवादी सरकार होने के गम्भीर आरोप लगाए।
वाराणसी (काशी): देश के इतिहास में काशी में प्रथम बार वैदिक हिंदू रीति से परम् धर्मसंसद 1008 का आयोजन 25 नवम्बर को सुबह 9 बजे से शुरू हुआ।
आज धर्म संसद का दूसरा दिन रहा।
परम् धर्म संसद 1008 का प्रथम सत्र में देश भर में तोड़े जा रहे मन्दिरों एवं द्वितीय सत्र में गंगा जी के अविरलता तथा गोरक्षार्थ बिधेयक पर चर्चा और विचार-विमर्श किया गया।
धर्म संसद ने सरकार पर कई गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि, "हिन्दुओं की रक्षा के नाम पर आई यह सरकार छद्म हिन्दूवादी सरकार है, जो देश में लगातार सनातन परम्परा के लोगों की आस्था पर निरंतर प्रहार करती चली आ रही है, जिससे जनता बेहद आहत है।"
जलपुरुष डाक्टर राजेन्द्र सिंह ने कहा कि, "सरकार ने काशी का सुनियोजित तरीके से विकास न करके विकास के नाम पर देवालयों को ही ध्वस्त करना प्रारम्भ कर दिया।"
जलपुरुष ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया है कि, "गंगा की अविरलता की लड़ाई लड़ रहे स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद का अंतिम दर्शन भी सरकार ने साजिशन नहीं करने दिया जो बेहद क्षोभ का विषय है।"
गुजरात से आए धर्मासंद किशोर देव ने कहा कि, "विकास के नाम पर 218 मंदिरों को तोड़ दिया गया लेकिन दूसरे धर्मों के स्थल को सुरक्षित कर दिया गया। यह देश की सनातन धर्मी जनता के साथ अन्याय है।"
स्वामी श्री अविमुक्तेश्वरानंदरू सरस्वती जी की अध्यक्षता में संसद की कार्यवाही हुई।
आज धर्म संसद के दूसरे दिन मुख्य रूप से अयोध्या में राम मंदिर का मुद्दा छाया रहा।
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