
लहू बोलता भी है: मौलाना अबुल वफ़ा सनाउल्लाह अमृतसरी
आइए जानते हैं,
जंगे आजादी ए हिंद के मुुुस्लिम किरदार- "मौलाना अबुल वफ़ा सनाउल्लाह अमृतसरी" को_______
"मौलाना अबुल वफ़ा सनाउल्लाह साहब"
आपने शुरूआती तालीम मुकामी सतह पर हासिल की और आला तालीम के लिए देहली गये। देहली से फारिग होकर देवबंद दारुल-उलूम गये।
आप मुल्क की आजादी के लिए फ्रिकमंद रहा करते थे। आपने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलन्द करने के लिए अमृतसर से सन् 1909 में एक उर्दू अख़बार रोज़नामा निकाला, जो कि 44 साल तक मुसलसल निकलता रहा।
आप जमाते-उलमा-ए-हिन्द के तंजीमी कामो और तहरीकों में ज़बरदस्त हिस्सा लेते थे। आप तहरीक में जेल भी गये ।
आपने खिलाफत मूवमेंट में अहम रोल अदा किया। आपके साहबज़ादे मौलवी अताउल्लाह सन् 1947 के अगस्त माह में अमृतसर में पंजाब बंटवारे के फिरक़ावाराना फ़साद में बीच बचाव करने गये जहां शहीद हो गये।
उसके बाद से आप सरगुजा चले गये और बाकी ज़िन्दगी वही मुकीम रहकर मार्च सन् 1948 में इंतकाल कर गये।
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