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राफेल विमान सौदा मामले में न्यायालय में सुनवाई जारी
नई-दिल्ली:14 नवंबर (भाषा): उच्चतम न्यायालय ने भारतीय वायु सेना के लिये फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदे जाने के मामले की न्यायालय की निगरानी में जांच के लिये दायर याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई शुरू कर दी।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ द्वारा उसके समक्ष सीलबंद लिफाफे में पेश इन लड़ाकू विमानों की कीमतों के विवरण का भी अवलोकन किये जाने की भी संभावना है। सरकार ने विमानों की कीमतों का विवरण सोमवार को न्यायालय में पेश किया था।
इन याचिकाओं पर सुनवाई शुरू होते ही अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि राजग सरकार ने ये विमान खरीदने की प्रक्रिया के तहत निविदा आमंत्रित करने की प्रक्रिया से बचने के लिये अंतर्सरकार समझौते का रास्ता अपनाया।
उन्होंने कहा कि इस सौदे के संबंध में फ्रांस सरकार की ओर से कोई शासकीय गारंटी नहीं है। उन्होंने कहा कि शुरू में केन्द्रीय कानून मंत्रालय ने इस मुद्दे पर आपत्ति की थी परंतु बाद में वह अंतर्सरकार समझौते के प्रस्ताव पर सहमत हो गया।
प्रशांत भूषण अपनी तथा भाजपा के दो नेताओं एवं पूर्व मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरूण शौरी की ओर से बहस कर रहे थे।
भूषण ने रक्षा खरीद प्रक्रिया का जिक्र करते हुये कहा कि भारतीय वायु सेना को 126 लड़ाकू विमानों की आवश्यकता थी और उसने इनके लिये रक्षा खरीद परिषद को सूचित किया था। शुरू में छह विदेशी कंपनियों ने आवेदन किया था परंतु शुरूआती प्रक्रिया के दौरान दो कंपनियों को ही अंतिम सूची में शामिल किया गया।
उन्होंने कहा कि यह सौदा बाद में फ्रांस की दसाल्ट कंपनी को मिला और सरकार के स्वामित्व वाला हिन्दुस्तान ऐरोनाटिक्स लि• इसका हिस्सेदार था।
परन्तु अचानक ही एक बयान जारी हुआ जिसमें कहा गया कि तकनीक का कोई हस्तांतरण नहीं होगा और सिर्फ 36 विमान ही खरीदे जायेंगे।
भूषण ने कहा कि प्रधान मंत्री द्वारा इस सौदे में किये गये कथित बदलाव के बारे में कोई नहीं जानता। यहां तक कि रक्षा मंत्री को भी इसकी जानकारी नहीं थी।
इस मामले में याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और अधिवक्ता विनीत ढांडा तथा आप पार्टी के सांसद संजय सिंह के वकील ने भी भूषण से पहले बहस की।
शर्मा ने बहस शुरू करते हुये अंतर्सरकार समझौते को गैरकानूनी बताया और सारे मामले की जांच का अनुरोध किया।
इसी तरहए ढांडा ने राफेल सौदे में उनकी याचिका में उठाये गये बिन्दुओं पर सरकार से सही जवाब देने का अनुरोध किया।
आप पार्टी के नेता के वकील धीरज सिंह ने राफेल लड़ाकू विमानों की संख्या 126 से घटाकर 36 करने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार को इनकी संख्या बढ़ानी चाहिए।
भूषण और सिंह ने कहा कि 36 विमानों के सौदे पर हस्ताक्षर हुये साढ़े तीन साल बीत चुके हैं लेकिन अभी तक एक भी विमान भारत को नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि पहला विमान सितंबर, 2019 में आना है और इनकी आपूर्ति 2022 तक जारी रहेगी।
न्यायालय में इन याचिकाओं पर बहस अभी भी जारी है।
(साभार- भाषा)
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