प्रथम राष्ट्रपति श्रद्धेय डॉ• राजेन्द्र बाबू का अपमान - देश का अपमान
नोएडा: धर्म, जाति से ऊपर उठकर निर्विवाद रहे भारतीय रत्न, आजाद देश के पहले राष्ट्रपति, संविधान निर्मात्री सभा के अध्यक्ष, विधिवेत्ता श्रद्धेय डॉ राजेन्द्र प्रसाद की स्मृति स्वरूप मूर्ति पर कालिख पोतते समय उस विक्षिप्त की मनोदशा क्या रही होगी यह तो उसकी गिरफ्तारी पर ही पता चलेगा।
लेकिन रखरखाव के आभाव में स्वच्छता की बाट जोह रहे उस स्थल पर वहां के शासन-प्रशासन पर जरूर कालिख पोत गया।
*" श्रद्धेय राजेन्द्र प्रसाद की मूर्ति के आसपास पड़ी गन्दगी को साफ करवाने उतर पड़ा कोई गंदा इंसान : एक नजरिया"*
देश की आजादी से आजाद देश मे महत्वपूर्ण योगदान देने वाले सादगी की प्रतिमूर्ति श्रद्धेय राजेन्द्र बाबू की मूर्ति को अपमानित करने का शर्मनाक दुस्साहस बेहद निंदनीय है।
लेकिन यह कृत्य कर अज्ञात अपराधियों ने वहां की स्थिति भी पटल पर पहुंचा दी।
एक तरफ उन अपराधियो ने अपमानित तो डॉ राजेन्द्र प्रसाद जी को किया वही दूसरी तरफ कालिख वहाँ के शासन प्रशासन पर पोत दी।
वैसे यह विभूति ऐसी है कि कोई सियासी दुराव हो नही सकता किसी का अहित न सोंचने वाले बाबूजी की किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है।
हालांकि अब तक देश मे सियासी, जातिगत व धार्मिक कारणों के चलते महापुरुषों की मूर्तिया क्षतिग्रस्त व अपमानित होती रही है लेकिन दरभंगा में बाबूजी की मूर्ति अपमानित करने का यह पहला वाक्या है। इनका विराट व्यक्तित्व ही था जिसके चलते देश मे कई जगह इनके स्मरण सम्मान में स्मृति चिन्ह लगाए गए हैं।लेकिन खाली मूर्ति लगाना सरकार प्रशासन या राजनेताओं के लिए नाकाफी है। उसके रखरखाव, साफ सफाई की जिम्मेदारी भी होनी चाहिए।
हाल ही में बाबूजी की मूर्ति अपमान से नाराज तो लगभग हर शिक्षित वर्ग है और होना भी चाहिए लेकिन यह चिंता किसी ने नही की कि उसे अपनी स्मृति में बनाये रखने के लिए देखभाल भी जरूरी है।
साल में दो बार जन्मतिथि व पुण्यतिथि पर अपने कर्तव्यों से इतिश्री करने वाले यह क्यो नही सोंचे अपने राष्ट्रहित कार्यो के बल पर बाबूजी भारतीय जनमानस के ह्रदय पटल पर हमेशा जीवित रहेंगे।
उनके अनुकरणीय कार्यो को भुलाया नही जा सकता चाहे वो राजनीति का क्षेत्र हो या शिक्षा, विधि आदि कोई हर क्षेत्र में बाबूजी ने समर्पित भाव से देश सेवा की है।सिर पर चोनदार टोपी, ललाट पर अजब चमक, कालिमा को मात देती सफेद उजली रौबदार मुछो, सफेद खद्दर कुर्ते और काले कोट के भीतर साधारण सी दिखने वाली इस असाधारण प्रतिभा के विषय मे कुछ कहना सूरज को दिया दिखाने जैसा होगा।
विडम्बना यह है कि उक्त घटना को तीन दिन होने को हैं और अभी तक घटना को अंजाम देने वाले अज्ञात अपराधियो को चिन्हित ही नही किया जा सका है दंड देना तो दूर की बात है।वहाँ के शासन प्रशासन से मांग करता हूँ कि दोषियों को चिन्हित कर अविलम्ब गिरफ्तार किया जाय और दंडात्मक कार्रवाई की जाय ताकि घटना की पुरावृत्ति न हो सके।साथ हो देश की महानविभूतियो के स्मृति स्थलों के रखरखाव व स्वच्छता को अपनी जिम्मेदारी समझ कर सक्रियता पूर्वक निर्वहन किया जाना चाहिए।
✍अनिल कुमार श्रीवास्तव
संवाददाता
swatantrabharatnews.com