अंतत: चुनी हुई संस्थाओं की ही होती है जवाबदेही: वित्त मंत्री जेटली
नई-दिल्ली: 27 अक्टूबर (भाषा) केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में ताजा विवाद की पृष्ठभूमि में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शनिवार को कहा कि देश, किसी भी संस्थान और सरकार से ऊपर है। उन्होंने कहा कि केंद्र हो या राज्य जवाबदेही अंतत: चुनी हुयी संस्थाओं की ही होती है, जो गैर-जवाबदेह है उसकी कोई जवाबदेही नहीं।
वित्त मंत्री ने सवाल किया कि क्या किसी संस्थान की गैर-जवाबदेही भ्रष्टाचार को छुपाने और जांच में दुस्साहस करने का आधार बन सकती है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में आयोजित पहले व्याख्यान में अपनी बात रखते हुये जेटली ने कहा कि देश किसी भी संस्थान और सरकार से बड़ा होता है।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई में तेजी से बदलते घटनाक्रम के बाद सरकार ने जांच एजेंसी के मुखिया व एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी को छुट्टी पर भेज दिया। कांग्रेस समेत विभिन्न विपक्षी दलों ने सरकार द्वारा सीबीआई निदेशक को जबरन छुट्टी पर भेजने को राजनीतिक मुद्दा बनाते हुये आरोप लगाया है कि राफेल खरीद सौदे की जांच रोकने के लिये सरकार ने यह कदम उठाया।
जेटली ने कहा, "भारत देश किसी भी संस्थान या सरकार से ऊपर है... क्या गैर-जवाबदेही भ्रष्टाचार को छुपाने का जरिया बन सकती है .... क्या यह जांच कार्यों में दुस्साहस करने का आधार बन सकती है, और क्या यह अकर्मण्य रहने का आधार बन सकती है जैसा कि दूसरे गैर-जवाबदेह संस्थानों के मामले में होता है। देश को ऐसे में क्या करना चाहिये? यह बड़ी चुनौती है।’’
जेटली ने कहा, ‘‘एक जवाब मेरे समक्ष पूरी तरह स्पष्ट है। देश किसी भी संस्थान से बड़ा होता है। ऐसे में किसी भी गैर- जवाबदेह संस्थान के साथ काम करना आज की सबसे बड़ी चुनौती है। हमें इन चुनौतियों को दिमाग में रखना होगा। जो भी इसे सही समझते हैं शायद वह इस पर अपनी प्रतिक्रिया देंगे।’’
वित्त मंत्री ने इस बात पर खेद जताया कि एक चुनी हुई संस्थाओं के अधिकारों को कमजोर करने के प्रयास किये जा रहे हैं और गैर- जवाबदेह संस्थानों के पक्ष में शक्ति संतुलन बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
जेटली ने कहा, ‘‘अंतत: चाहे केन्द्र हो अथवा राज्य, चुने हुये की ही जवाबदेही है। जो गैर-जवाबदेह है उसकी कोई जवाबदेही नहीं है।’’
अधिकारों की सीमा रेखा के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि इसके पीछे सोच यही है कि मूलभूत ढांचे का कोई भी भारतीय सरकार अथवा कोई भी पार्टी उल्लंघन नहीं करेगी। उन्होंने इशारों में कहा कि कई मौकों पर लोकतंत्र के दूसरे स्तंभों के कार्यक्षेत्र में अतिक्रमण किया गया। इस संदर्भ में उन्होंने न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में प्रक्रिया को गलत तरीके से परिभाषित किये जाने की बात कही। इसमें संसद से संबंधित अधिकारों को छीन लिया गया। उन्होंने कहा कई मौकों पर अलग-अलग अधिकार क्षेत्र के सिद्धांत को कई मौकों पर विरूपित किया गया।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘इस तरह की मंशा को रोका जाना चाहिये। इसके लिये सभी संस्थानों को राजकाज में कुशल होना जरूरी है।’’
संघवाद के बारे में उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण चुनौती है लेकिन भारत को राज्यों का संघ होना चाहिये और उसमें राज्य और केन्द्र दोनों मजबूत होने चाहिये। ‘‘ ... इस मामले में मैं कुछ सतर्कता की बात करना चाहता हूं। भारत में संघवाद आवश्यक है। भारत को हमेशा ही राज्यों का संघ होना चाहिये और यह है।’’
जेटली ने कहा कि भारत को राज्यों का संघ बनाये रखने में ही संघवाद का संतुलन बना रहेगा। इसे राज्यों का परिसंघ बनाने की दिशा में ले जाने वाला कोई भी कदम नहीं उठाया जाना चाहिये।
राजनीति की गुणवत्ता के बारे में जेटली ने कहा जो किसी वंश परंपरा को लेकर प्रतिबद्ध हैं या फिर जो सरकारों को उखाड़ फेंकने वाले वामपंथी दर्शन से संचालित हैं, जो भारत के टुकड़े करने में विश्वास रखते हैं ऐसे लोगों द्वारा लोकतंत्र को नहीं बचाया जा सकता है।
जेटली ने कहा, ‘‘परिवार के सिद्धांतों के विरासत वाली जाति आधारित राजनीतिक दलों .... को भारतीय लोकतंत्र कब तक ढो सकता है? इसका राजनीति की गुणवत्ता पर सीधा असर पड़ता है।
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