
गंगा सफाई को लेकर 112 दिनों से अनशन पर बैठे पर्यावरणविद् प्रोफ़ेसर जी. डी. अग्रवाल का निधन
-अनशन के दौरान पर्यावरणविद् प्रोफेसर जी. डी. अग्रवाल ने कहा था, ‘हमने प्रधानमंत्री कार्यालय और जल संशाधन मंत्रालय को कई सारे पत्र लिखा था, लेकिन किसी ने भी जवाब देने की जहमत नहीं उठाई।
- पिछले 22 जून से पर्यावरणविद् प्रोफेसर जी. डी. अग्रवाल, जो कानपुर के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के फैकल्टी मेंबर भी थे, "गंगा-सफाई" की मांग को लेकर ‘आमरण अनशन’ पर बैठे हुए थे।
- उनकी मांग थी कि गंगा और इसकी सह-नदियों के आस-पास बन रहे हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के निर्माण को बंद किया जाए।
- गंगा सफाई को लेकर पर्यावरणविद् प्रोफ़ेसर जी. डी. अग्रवाल पिछले 112 दिनों से आमरण अनशन पर बैठे थे।
- स्वास्थ्य गिरने की वजह से बीते 10 अक्टूबर को पुलिस ने उन्हें जबरन अस्पताल में भर्ती कराया था।
नई-दिल्ली: गंगा सफाई के लिए पिछले 112 दिनों से अनशन पर बैठे पर्यावरणविद् प्रोफेसर जीडी अग्रवाल उर्फ स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का गुरुवार को निधन हो गया।
बीते 9 अक्टूबर से प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने पानी पीना बंद कर दिया था।
अगले दिन हालत बिगड़ने पर पुलिस ने उन्हें जबरन ऋषिकेश स्थित एम्स अस्पताल में भर्ती कराया था। जीडी अग्रवाल 86 साल के थे।
जीडी अग्रवाल कानपुर के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के फैकल्टी मेंबर थे।
पिछले 22 जून से अग्रवाल गंगा सफाई की मांग को लेकर ‘आमरण अनशन’ पर बैठे हुए थे।
हरिद्वार स्थित मातृ सदन के संत ज्ञानांन्द से इन्होंने दीक्षा ली थी।
अग्रवाल गंगा को अविरल बनाने के लिए लगातार कोशिश करते रहे. उनकी मांग थी कि गंगा और इसकी सह-नदियों के आस-पास बन रहे हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट के निर्माण को बंद किया जाए और गंगा संरक्षण प्रबंधन अधिनियम को लागू किया जाए।
उन्होंने कहा था, ‘अगर इस मसौदे को पारित किया जाता है तो गंगाजी की ज्यादातर समस्याएं लंबे समय के लिए खत्म हो जाएंगी।
मौजूदा सरकार अपने बहुमत का इस्तेमाल कर इसे पास करा सकती है।
मै अपना अनशन उस दिन तोडूंगा जिस दिन ये विधेयक पारित हो जाएगा. ये मेरी आखिरी जिम्मेदारी है।
अगर अगले सत्र तक अगर सरकार इस विधेयक को पारित करा देती है तो बहुत अच्छा होगा।
अगर ऐसा नहीं होता है तो कई लोग मर जाएंगे. अब समय आ गया है आने वाली पीढ़ी इस पवित्र नदी की जिम्मेदारी ले।'
अनशन के दौरान जीडी अग्रवाल ने कहा था, ‘हमने प्रधानमंत्री कार्यालय और जल संशाधन मंत्रालय को कई सारे पत्र लिखा था, लेकिन किसी ने भी जवाब देने की जहमत नहीं उठाई।
मैं पिछले 109 दिनों से अनशन पर हूं और अब मैंने निर्णय लिया है कि इस तपस्या को और आगे ले जाऊंगा और अपने जीवन को गंगा नदी के लिए बलिदान कर दूंगा।
मेरी मौत के साथ मेरे अनशन का अंत होगा।'
प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में वादा किया था कि 2019 तक गंगा साफ कर दी जाएगी. हालांकि कई सारे रिपोर्ट्स बताते हैं कि गंगा की सफाई के लिए कोई खास प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं।
एक संसदीय समिति, जिसने गंगा सफाई के लिए सरकार के प्रयासों का मूल्यांकन किया था, ने बताया था कि गंगा सफाई के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर्याप्त नहीं हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, "मौजूदा स्थिति ये बताती है कि सीवर परियोजनाओं से संबंधित कार्यक्रमों को राज्य द्वारा सही तरीके से लागू नहीं किया गया और ये सरकार का गैरजिम्मेदाराना रवैया दर्शाता है।
सीवर परियोजना सीवेज ट्रीटमेंट और जल निकायों में सीवेज के डंपिंग के मुद्दों का हल करने के लिए था"।
संसदीय समिति के अलवा नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने भी गंगा सफाई को लेकर सरकार की कोशिश को अपर्याप्त बताया था।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान के साथ समझौता करने के साढ़े छह साल बाद भी स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) की लंबी अवधि वाली कार्य योजनाओं को पूरा नहीं किया जा सकता है।
इसी वजह से राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन अथॉरिटी अधिसूचना के आठ वर्षों से अधिक के अंतराल के बाद भी स्वच्छ गंगा के राष्ट्रीय मिशन में नदी बेसिन प्रबंधन योजना नहीं है"।
बता दें कि गंगा के ही मुद्दे पर 2011 में 115 दिन के अनशन के बाद स्वामी निगमानंद ने भी दम तोड़ दिया था।
(साभार: द वायर & सम्पादित)
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