पी वी सिंधू ने किया खुलासा, इस हार के बाद रोक नहीं सकी थी अपने आंसू
पी वी सिंधू ने किया खुलासा, इस हार के बाद रोक नहीं सकी थी अपने आंसूफाइनल में हार के बाद इस वजह से रोई थी पी वी सिंधू।नई दिल्ली, जेएनए। विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के फाइनल में बेहद संघर्षपूर्ण मुकाबले में जापान की नोजोमी ओकुहारा से मामूली अंतर से मात खाने के बाद भारतीय महिला शटलर पीवी सिंधू पहली बार रोते हुए दिखाईं दी थीं। खेल मंत्री विजय गोयल के आवास पर गुरुवार को आयोजित सम्मान समारोह के बाद सिंधू से जब यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि आखिरी गेम 20-20 पर बराबरी पर था। काफी लड़ने और जीतने की स्थिति में होने के बाद मैच हारना परेशान करने वाला था। मैं सोच रही थी कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। मैं अपनी क्षमताओं में विश्वास करती हूं। यहां तक कि उसने और मैंने एक बार भी शटल को नहीं छोड़ा। दूसरे गेम में भी 73 शॉट की रैली हुई। वह अच्छा फाइनल था और उसे हारने के बाद मुझे रोना आ गया।मैंने रैंकिंग के बारे में नहीं सोचा : ग्लास्गो में खेली गई विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में अपने से आठ रैंक नीचे वाली ओकुहारा ने सिंधू को एक घंटे, 50 मिनट तक चले मुकाबले में 21-19, 20-22, 22-20 से मात दी थी। रजत पदक से संतोष करने वाली सिंधू ने कहा कि वास्तव में मैंने रैंकिंग के बारे में नहीं सोचा था। आप जानते हैं कि शीर्ष 20 खिलाड़ी एक स्तर के होते हैं। वह वास्तव में अच्छा खेल रही थी और यह लंबी रैलियों के साथ सबसे लंबे मैचों में से एक था। मैं थोड़ा परेशान थी कि क्योंकि वह उसका नहीं मेरा मैच हो सकता था। मैं सिर्फ इतना ही कहूंगी कि मैं थोड़ी दुर्भाग्यशाली रही।ओकुहारा की रणनीति थी पीछे खेलना: ओकुहारा ने साइना के खिलाफ भी कोर्ट के पीछे से खेला था और आपके सामने भी यही रणनीति अपनाई। सिंधू से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि नहीं मैंने फाइनल के बारे में उनसे बात नहीं की, क्योंकि उनके और मेरे मैच का समय अलग था। मुङो लगता है कि इसे दोनों के खिलाफ अलग रणनीति की तरह देखा जाना चाहिए क्योंकि साइना अलग तरीके से खेलती हैं और मैं अलग तरीके से।अगला लक्ष्य कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स : सिंधू अभी 22 वर्ष की हैं और उनके पास पांच से छह साल का सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन बचा हुआ है। भविष्य के बारे में उन्होंने कहा कि कई लीजेंड ने मुझसे कहा कि मैं अच्छा खेली। मुझे खुशी है और लगता है कि अब मुझे और अधिक मेहनत करनी होगी। यह मेरे करियर की शुरुआत है और इसे बरकरार रखने के लिए मेरे पास कई वर्ष हैं। कई और टूर्नामेंट हैं जहां मुङो वास्तव में अच्छा करना है। अगला लक्ष्य कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स हैं। बैडमिंटन भारत में तेजी से बढ़ रहा है। हमें गर्व होना चाहिए कि हम दो पदक जीते। संपूर्ण परिदृश्य आशाजनक दिखता है। भारतीय खिलाड़ी कोरियाई, जापानी और चीनी खिलाड़ियों के समकक्ष दिख रहे हैं।क्रिकेट की खबरों के लिए यहां क्लिक करेंअन्य खेलों की खबरों के लिए यहां क्लिक करेंBy Pradeep Sehgal Let's block ads! (Why?)