
लहू भी बोलता है: आज़ाद ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- हुसैन शहीद सुहरावर्दी
लहू भी बोलता है:
आईये जानते हैं, आज़ाद ए हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- हुसैन शहीद सुहरावर्दी को.....
हुसैन शहीद सुहरावर्दी:
हुसैन शहीद सुहरावर्दी की पैदाइश 8 सितम्बर, 1892 में मिदनापुर ;बंगालद्ध में हुई थी। आपके वालिद का नाम जस्टिस सर ज़ाहिद सुहरावर्दी था, जो कि कलकत्ता हाईकोर्ट के बहुत ही मशहूर जज थे। आप शुरू से ही पढ़ने में बहुत तेज थे आपने सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई पूरी करके कलतत्ता यूनिवर्सिटी से अरबी में एम.ए. किया, उसके बाद कानून की पढ़ाई करने के लिए आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी गये। वहां से वापस आकर कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रेक्टिस करने लगे। आपकी शादी सर अब्दुल रहीम (उस वक्त बंगाल प्रोविंस में ब्रिटिश इण्डिया गनर्वमेंट में होम मिनिस्टर थे) की बेटी नियाज़ फ़ातिमा से हुई। नियाज़ फ़ातिमा बीबी से एक लड़का और एक लड़की थी। उसके बाद उनका इन्तकाल हो गया। सन् 1940 में आपने दूसरी शादी एक रशियन एक्ट्रेस से की थी जिसने इस्लाम मज़हब अख़्तयार किया था। इस बीबी से भी एक लड़का हुआ जो लन्दन में ऐक्टर बना।
आप कलकत्ता हाईकोर्ट में पे्रक्टिस करते हुए ही बंगाल की पॉलिटिक्स में ख़ासा दख़ल रखने लगे थे। बाद में आपने स्वराज पार्टी ज्वाइन की और नेशनल मूवमेंट में शामिल हुए। स्वराज पार्टी कांग्रेस के ही हमराह जंगे-आज़ादी की लड़ाई में शामिल थी। आप सन् 1924 में कलकत्ता कार्पोरेशन के डिप्टी मेयर बने। बाद में प्रोविन्सियल एसेम्बली में स्वराज पार्टी के डिप्टी लीडर भी बने। चितरंजनदास के इंतक़ाल के बाद आपने मुस्लिम लीग ज्वाइन कर ली और ख्वाजा निज़ामुद्दीन की गनर्वमेंट में मिनिस्टर बनाये गये। बाद में मिलीजुली सरकार के मुख्यमंत्री बने और जनता में अच्छी इमेज बनायी लेकिन सन् 1947 में देश के बंटवारे के समय जब कांग्रेस ने अलग राजनीतिक माहौल बनाया तब आपको मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा।
उन्हीं दिनों मुस्लिम लीग ने डायरेक्ट ऐक्शन का एलान किया जिसकी वजह से बड़े पैमाने पर फ़िरक़ावाराना फसाद हुआ। ऐसे मौके पर सुहरावर्दी साहब ने लीग की काल को नजरअंदाज कर फ़िरक़ावाराना फसाद ख़त्म कराने की जी-तोड़ कोशिशें की और सियासी दूरियों के बाद भी महात्मा गांधी जी के साथ नोवाखाली के बिगड़े माहौल और खून ख़राबे को ख़त्म कराने में पूरी ईमानदारी से मेहनत की और माहौल ठीक होने पर ही सकून से बैठे। उसके बाद मुल्क बंटवारे की वजह से पूर्वी पाकिस्तान चले गये।
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