डीजीपी पद के लिए तेज हुई दौड़, सुलखान सिंह को सेवा विस्तार संभव
डीजीपी पद के लिए तेज हुई दौड़, सुलखान सिंह को सेवा विस्तार संभववरिष्ठता क्रम में 1982 बैच के डीजी अग्निशमन प्रवीण सिंह और डीजी होमगार्ड डॉ. सूर्य कुमार शुक्ल हैं। पिछली सरकार में डीजीपी बनते-बनते रह गए यह दोनों अधिकारी प्रबल दावेदार हैं।लखनऊ (जेएनएन)। डीजीपी सुलखान सिंह का कार्यकाल 30 सितंबर को समाप्त हो रहा है। सरकार उनका कार्यकाल बढ़ाने पर विचार कर रही है। संभव है कि उनका कार्यकाल बढ़ा दिया जाए लेकिन, डीजीपी की कुर्सी के लिए वरिष्ठ आइपीएस अफसरों की रेस तेज हो गई है। 1982 से लेकर 1987 बैच तक दर्जन भर डीजी उत्तर प्रदेश में हैं। कुछ केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर भी हैं। इस बात को लेकर मंथन शुरू है कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था और आपराधिक चुनौतियों का मुकाबला बेहतर ढंग से कौन कर सकता है।भाजपा की सरकार बनने के बाद सुलखान सिंह ने इसी वर्ष 21 अप्रैल को उप्र पुलिस के मुखिया का कार्यभार संभाला। स्वच्छ छवि के चलते उनके नेतृत्व का प्रभाव है लेकिन, सेवा विस्तार को लेकर अभी बात पक्की नहीं हुई है। इसीलिए डीजीपी के संभावित चेहरों को लेकर चर्चा शुरू है। वरिष्ठता क्रम में 1982 बैच के डीजी अग्निशमन प्रवीण सिंह और डीजी होमगार्ड डॉ. सूर्य कुमार शुक्ल हैं। पिछली सरकार में डीजीपी बनते-बनते रह गए यह दोनों अधिकारी प्रबल दावेदार हैं।1983 बैच के राजीव राय भटनागर और ओमप्रकाश सिंह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात हैं। इन दोनों की भी प्रदेश की कमान संभालने की इच्छा है। इसी बैच के गोपाल गुप्ता डीजी प्रशिक्षण हैं और उनके लिए भी पैरोकारी हो रही है। 1984 बैच के सैयद जावीद अहमद सपा सरकार में डीजीपी रह चुके हैं और वह हाल ही में प्रतिनियुक्ति पर गए हैं। इस बैच के केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात रजनीकांत मिश्रा का नाम प्रमुखता से चल रहा है। 1984 बैच के ही आलोक प्रसाद डीजी इओडब्लू, 1985 बैच के हितेष चंद्र अवस्थी डीजी सतर्कता, गिरीश प्रसाद शर्मा डीजी सीबीसीआइडी, 1986 बैच के प्रमोद कुमार तिवारी डीजी रूल्स व मैनुअल, जवाहर लाल त्रिपाठी डीजी नागरिक सुरक्षा, सुजानवीर सिंह डीजी अभियोजन, नासिर कमाल अध्ययन अवकाश और महेन्द्र मोदी डीजी तकनीकी सेवाएं के पद पर तैनात हैं।इनमें भी कई मजबूत दावेदार हैं। योगी सरकार ने वरिष्ठता पर ध्यान केंद्रित किया है। सपा सरकार में कनिष्ठ अफसरों को सुपरसीड कर डीजीपी की कुर्सी सौंपी जाती रही है लेकिन, इस सरकार ने सबसे वरिष्ठ अधिकारी सुलखान सिंह को डीजीपी बनाया। इस हिसाब से कनिष्ठ अफसरों को मौका मिलने की गुंजायश कम बन रही है लेकिन, बेहतरी के लिए नया प्रयोग हो सकता है। 1987 बैच में डीजी भर्ती बोर्ड वीरेन्द्र कुमार और डीजी अभिसूचना भवेश कुमार सिंह हैं। भवेश कुमार सिंह को फील्ड का बेहतर अनुभव है। वह कई जिलों में एसपी-एसएसपी और केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर डीआइजी रहे।भवेश सिंह आइजी कानून-व्यवस्था के अलावा गोरखपुर, आगरा और मेरठ जोन के भी आइजी रहे हैं। मेरठ जोन में आइजी रहते हुए एडीजी पद पर प्रोन्नति हुई और उनके तबादले के बाद ही मुजफ्फरनगर, शामली और मेरठ आदि क्षेत्रों में सांप्रदायिक हिंसा पर नियंत्रण नहीं हो सका। इस लिहाज से कनिष्ठ होने के बावजूद भवेश सिंह का भी नाम प्रमुखता से चल रहा है। एडीजी कार्मिक के पद पर भी उनकी लंबी सेवा रही है। By Ashish Mishra Let's block ads! (Why?)