
गांधी जय प्रकाश और लोहिया के संयुक्त प्रतिमूर्ति रघु ठाकुर की ललकार
- नकाब उठाकर देखेंगे तो यह हिटलरशाही है।
- कहाँ है सबका साथ और सबका विकास?-
वाराणसी, 28 जून: अघोषित आपातकाल के बिरोध में आम-जन, मज़दूर और किसान को उनके अधिकार दिलाने के उद्देश्य से जनाधिकार यात्रा मंगलवार को भारत माता मंदिर से प्रारम्भ हुयी जो 08 जुलाई को बलिया के सिताब दियारा में समाप्त होगी।
यात्रा का नेतृत्व राज्यसभा सदस्य संजय सिंह कर रहे हैं। इस अवशर पर लोकतांत्रिकसदमाजवादीपार्टी के राष्ट्रिय संरक्षक- महान समाजवादी चिंतक व विचारक - रघु ठाकुर विशेष रूप से मौजूद थे। यात्रा प्रारम्भ होने के पहले
आपातकाल दिवस पर अघोषित आपातकाल के विरोध में आम लोगों, गरीबों और किसानों को उनका हक़ दिलाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री मोदी जी के संसदीय क्षेत्र - वाराणसी में आयोजित विशाल जनाधिकार रैली में लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक- महान समाजवादी चिंतक और विचारक - रघु ठाकुर, जो आपातकाल में गिरफ्तारी के बाद 21 माह जेल में यातना सहते रहे, ने उन दिनों को याद करते हुए कहा कि, “आपातकाल का एक बड़ा कारण था राजनीतिक दलों के भीतर आन्तरिक लोकतन्त्र की समाप्ति।“
दल, व्यक्ति के दास बन जाना। पर आज 43 वर्षों के बाद भी क्या दल नेतृत्व की दासता से मुक्त हो सके हैं। क्या दलों में आंतरिक लोकतंत्र आ सका है?-
नहीं।
हालात जस के तस है।
दल, पदाधिकारी को नहीं चलाता बल्कि पदाधिकारी दल को अनुशासन के डंडे से हांक रहे हैं।
डॉ लोहिया कहते थे वाणी की स्वतंत्रता कर्म पर नियंत्रण।
पर आज का राजनीतिक दलों का चलन है वाणी पर नियंत्रण और कर्म से मुक्ति।
यही है आपातकाल का मूल।"
25 जून 1975 को दिल्ली कि रामलीला मैदान में राजनेता और स्वतन्त्रता सेनानी जय प्रकाश नारायण भाषण कर रहे थे, रामलीला मैदान लोगों से खचा-खच भरा हुआ था. जे. पी.को आभास हो गया था कि. उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा और इसी कारण उनहोनेसभामेंकहाकि, शायद आज रात मेरीगिरफ्तारी होजाय, तो क्या आप सभी मेरीगिरफ्तारीकेबाद भी लड़ेंगे.तो सभी उपस्थितलोगोंने कहाकि, "हम लड़ेंगे."
जे.पी ने व्यवस्था परिवर्तन के लिए ’सम्पूर्ण क्रान्ति’ का आह्वाहन किया था।
जे.पी. इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे और गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने 1977 में विपक्ष को एकजुट कर इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया था।
समाजवादी विचारक रघु ठाकुर ने केंद्र सरकार की नीतियों को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सभी क्षेत्रों में विफल रही है। जीडीपी के आंकड़ों से विकास को दर्शाया जा रहा है।
कहाँ है सबका साथ और सबका विकास?-
पेट रोटी से भरता है ना कि, G D P के आंकड़े से
रघु ठाकुर ने लोहिया की ‘दाम बांधो’ नीति की जमकर वकालत की।
उन्होंने कहा किसानों को उनके उत्पादों की कीमत तय करते समय लागत में पचास फीसदी और जोड़ना होगा और यही मानक बिक्री के लिए अन्य उत्पादों पर भी लागू करना होगा।
उन्होंने कहा देश बुनियादी समस्याओं से जूझ रहा है। रोजगार के अवसर कम ही नहीं अपितु समाप्त हो रहे हैं। विरोध के स्वर को दबाया जा रहा है।
श्री ठाकुर ने गाँधी, लोहिया, जयप्रकाश नारायण और समाजवादी नेता राजनारायन के योगदान को याद करते हुए कहा कि, गंगा की सफाई करने की बात करने वाला कौन था ?- गंगा को साफ़ करने की बात मोदी या मोदी सरकार की नहीं है।
रघु ठाकुर ने कहा कि लोहिया ने ही सबसे पहले 1953 में गंगा के सफाई की बात की थी।
निति आयोग की चर्चाँ करते हुए श्री ठाकुर ने कहा कि जिस देश में गंगा बहती है, उस देश के किसान और आम लोग जल संकट और पिने के शुद्ध पानी की समस्या से जूझ रहे हैं, जिस देश में गंगा है, उस देश में पीने का पानी नहीं हैं।
निति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, 60 करोड़ लोगों के पास पिने का पानी नहीं है।
यह नकली लोकतंत्र है।
नकाब उठाकर देखेंगे तो यह हिटलरशाही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि भगवा कपड़े पहनने से कोई योगी नहीं होता है।
पश्चिमी यूपी में गाय का आतंकवाद है।
हम गाय पालने को तैयार हैं चारे का पैसा- रुपये 3000/= प्रति गाय सरकार दे।
कहाँ है विकास, आज प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में लोगों को पिने का पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है, वाराणसी स्टेशन तक के नल सूखे हुए हैं, निति आयोग के अनुसार देश भीषण जल संकट से जूझ रहा है और यही हालत रही तो देश में नए प्रकार का आकाल - "जल का आकाल" होगा।
>गांधी का नाम छिपाकर केवल चश्मा लगाया जा रहा है।
मोदी सरकार को ललकारते हुए श्री ठाकुर ने कहा क़ि,गांधी के नाम कॉ मिटाना चाहते हो,
जो घटनाएँ घटीं हैं, याद रखना
"जो इतिहास को मिटाना चाहते हैं, वे कब्रिस्तान में दफन हो जाते हैं।"
बनारस का सम्बन्ध, "हिन्दुस्तान की आज़ादी से लेकर लोकतंत्र की स्थापना तक और समाजवादी आंदोलन से लेकर आज तक है"।
यह बनारस, वह बनारस है जहां के विश्वविद्यालय में "डाक्टर लोहिया" ने आकर नवजवानों को संघर्ष करने का शिक्षा दी थी।
यह बनारस वह बनारस है, जहां कुलपति के रूप में "समाजवादी नेता आचार्य नरेन्द्रदेव" ने आकर अपनी सेवाएं दी थीं।
यह बनारस वह बनारस है, जिसने सदैव हिन्दुस्तान की संस्कृतऔर सभयता को जिंदा रखा है।
यह बनारस वह बनारस है जहां "लोकबंधु राजनारायन जी" लोकतंत्र के प्रहरी के रूप में काम किया।
समाजवादी साथी संजय सिंह को आशीष देते हुए कहा कि, “यहां से जो यात्रा प्रारम्भ होती है, वह लखनऊ में नहीं बल्कि दिल्ली में समाप्त होती है।"
इस अवसर पर भा. ज. पा के शत्रुघ्न सिन्हा, अपना दल की पल्लवी पटेल, लोकतांत्रिकसमाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष (उ.प्र.)- सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव व तमाम पार्टियों के नेता उपस्थित थे और अपने विचार व्यक्त किये।
अघोषित आपातकाल और मोदी सरकार की नीतियों की भा. ज. पा के ही सांसद और पूर्व मंत्रियों - यशवंत सिन्हा और शत्रुघ्न सिन्हा ने तीखी आलोचना की।
सभा का संचालन आप नेता संजीव सिंह ने किया। रैली में विभिन्न दलों के प्रतिनिधि मौजूद थे।
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