ट्रेन से कपल का लगैज हुआ चोरी, कोर्ट ने रेलवे को दिए 5 लाख रु. हर्जाना देने के ऑर्डर
- ट्रेन में सफर कर रहे एक कपल का लगेज चोरी हो गया। कपल ने रेलवे से हर्जाना मांगा लेकिन नहीं मिला।
नयी दिल्ली, 11 जून: ट्रेन में सफर कर रहे एक कपल का लगेज चोरी हो गया। कपल ने रेलवे से हर्जाना मांगा लेकिन नहीं मिला। बाद में कंज्युमर कोर्ट में लड़ाई लड़ी। अब कोर्ट ने रेलवे को 5 लाख रुपए का हर्जाना यात्री को देने का ऑर्डर दिया है।
कोर्ट ने नॉर्थर्न रेलवे को ऑर्डर दिए हैं कि यात्री के गुम हुए लगेज की कीमत के अलावा 8 हजार रुपए अतिरिक्त उन्हें दें। यह खर्चा कपल द्वारा किए गए कानूनी खर्चों का हर्जाना था। बता दें कि, ट्रेन में हर पैसेंजर को सुरक्षित सफर मिले और लगेज सुरक्षित रहे यह रेलवे की जिम्मेदारी है।
क्या था मामला
> शैलेशभाई और मीनाबेन भगत जम्मूतवी एक्सप्रेस के सेकंड एसी कोच में सफर कर रहे थे। इसी दौरान मथुर से नईदिल्ली के बीच इनका हेंडबेग चोरी हो गया। कपल ने तुरंत रेलवे को इंफॉर्म किया लेकिन रेलवे ने इसमें गंभीरता नहीं दिखाई। इसके बाद कपल ने दिल्ली में पुलिस कम्पलेंड दर्ज करवाई।
> यहां से भी जब कुछ नहीं हुआ तो कपल ने रेलवे को लीगल नोटिस भेजा। कपल का कहना था कि उनके बैग में ज्वेलरी के साथ कुछ इलेक्ट्रॉनिक आइटम और 2 लाख रुपए कैश रखा था। पूरा सामान 5 लाख रुपए का था। नॉर्थर्न रेलवे ने कपल की 5 लाख रुपए की हर्जाना देने की डिमांड नकार दी। रेलवे का कहना था कि पैसेंजर ने लगेज बुक नहीं किया था और उन्हें कोई रिसिप्ट इश्यू नहीं की गई थी। इसलिए रेलवे सामान के लिए जवाबदेह नहीं है।
बाद में कंज्युमर कोर्ट ने कपल के पक्ष में फैसला दिया। बता दें कि, कोच में कोई भी बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता। यह टीटी की जिम्मेदारी होती है कि बाहर का कोई व्यक्ति अंदर न आए। इस तरह से टीटी अपने ड्यूटी निभाने में फेल साबित हुए। कोर्ट ने कपल के ज्वेलरी और इलेक्ट्रिक गुड्स के बिल भी देखे। इसके बाद ऐसा कोई रीजन नहीं रह गया जिससे कपल को हर्जाना न मिले।
कीमती लगेज की जानकारी देना जरूरी
हालांकि रेलवे एक्ट की धारा 103(2) एवं 100 के तहत यात्री यदि कीमती सामान लेकर यात्रा कर रहे हैं तो उन्हें रेलवे को पहले इसकी जानकारी देना होगी। रेलवे मैन्युअल के अनुसार महंगे सामान को बुक कराना अनिवार्य है। यदि आपने सामान बुक नहीं करवाया और वो चोरी हो गया तो इसकी जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की नहीं होगी। हालांकि कोच को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी भी रेलवे की है।
(साभार- भाष्कर)
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