उद्योगों का कर्जा माफ तो किसानों का भी माफ हो- रघु ठाकुर
- लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी का खेती बचाओ किसान बचाओ सम्मेलन आयोजित।
- समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने "दाम बांधोनीति" सिद्धांत बर्षों पहले दिया था, लेकिन सरकारों ने इस पर कभी काम नहीं किया कारण सरकारों की मंशा ठीक नहीं रही।
भिंड (मध्य प्रदेश): भारत कृषि प्रधान देश है। यहां की अधिकांश आबादी गांव में बसती है. देश में कोई भी सरकार रही हो, उसने किसानों की बात तो की लेकिन, उनके के लिए ठोस नीतियां लागू नहीं की।
यही कारण है कि देश की आजादी के 70 साल बाद भी सबसे बदहाल इस देश का किसान ही है।
वह आत्महत्या के लिए विवश हो रहा है। अगर वाकई में देश की केंद्र सरकार या राज्य सरकारें किसानों का भला चाहती हैं तो उन्हें "दामबांधो नीति" लागू करनी चाहिए।
जो नीति उद्योगों के लिए हो वही किसानों के लिए हो। उद्योगों का कर्जा माफ होता है तो किसानों का भी कर्जा माफ होना चाहिए।
यह बात लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक- महान समाजवादी चिंतक व विचारक- रघु ठाकुर ने शनिवार को अटेर के ग्राम परा में आयोजित खेती बचाओ किसान बचाओ सम्मेलन में कहीं।
श्री ठाकुर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि, "दाम बांधोनीति" से ही किसानों का भला होगा.
सरकार को लागत मूल्य का 50% मुनाफा जोड़कर दाम निर्धारित करना चाहिए फिर चाहे खेती हो या कारखाने का उत्पादन।
इससे जहां किसान व उद्योगों को लाभ होगा तो वही महंगाई पर भी अंकुश लगेगा। समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने यह सिद्धांत बर्षों पहले दिया था, लेकिन सरकारों ने इस पर कभी काम नहीं किया कारण सरकारों की मंशा ठीक नहीं रही।
बे किसानों का शोषण कर पूंजीपतियों को लाभ दिलाने के लिए काम करती रहीं हैं।
उन्होंने कहा कि सरकारें पूंजीपतियों को बुलाती हैं. उन्हें सस्ती जमीन, बिजली, पानी आदि की व्यवस्था करती हैं और अगर उद्योगों में घाटा हो जाए तो पूरा कर्जा माफ कर दिया जाता है।
सरकार की इसी पूंजी पति परस्त नीतियों की वजह से देश भर में 7 लाख बीमार कारखाने हैं जबकि किसानों को फायदा हुआ या नुकसान इस पर सरकारें गौर नहीं करती है।
किसानों के लिए न सिंचाई के साधन है और न ही बिजली की समुचित व्यवस्था ऊपर से किसानों पर कई तरह से कर्ज लाद दिये जाते है।
उनके कर्ज की माफी की बात आती है तो सरकारें बगले झांकने लगती हैं।
उन्होंने कहा कि देश का करोड़ों युवा बेरोजगार है हालात यह हैं कि एक चपरासी की नोकरी के लिए भी पढ़े लिखे हजारों लोग आवेदन करते हैं। वहीं रेलवे की करीब 90 हजार नौकरियां के लिए ढाई करोड़ बेरोजगारों ने आवेदन किया।
देश के सबसे बड़े उपक्रम भारतीय रेल में 1974 में जहां 22 लाख कर्मचारी थे और अब 13 लाख कर्मचारी बचे है। जबकि यात्रियों की संख्या 4 गुना बढ़ी है। सरकारों को ऐसी नीति बनानी चाहिए थी कि जिससे युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध होता।
उन्होंने कहा कि अगर खेती नहीं बचेगी तो उद्योग भी नहीं बचेंगे और ना ही रोजगार पैदा होगें इसलिए खेती एवं किसान को बचाने से ही पेड़-उद्योग सब सुरक्षित होंगे।
सभा की अध्यक्षता - लो.स.पा. के मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष- श्याम सुन्दर यादव ने किया।
इस अवसर पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंभू दयाल बघेल, प्रदेश अध्यक्ष श्याम सुंदर सिंह यादव, निसार कुरैशी आदि ने भी किसानों को संबोधित किया। कार्यक्रम में प्रवक्ता असगर खान, जिला अध्यक्ष जितेंद्र मिश्रा, कमरुद्दीन खान, हशीन खान, नोशे खान, बनवारी खटीक, धनीराम कुशवाह, रमेश यादव, सुनील यादव, भानु प्रताप बघेल, रामाधार कुशवाह, रामदास श्रीवास, राघुवेंद्र नरवरिया सहित परा गांव के सैकड़ों किसान मौजूद थे।
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