
किसानों के फसल बीमा की रकम रिलायंस की जेब में, भुगतान करो__ रघु ठाकुर
रायपुर: लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय संरक्षक रघु ठाकुर ने छत्तीसगढ़ के अल्प प्रवास पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में किसानों के फसल बीमा के नाम पर भारी अनियमितताएं एवं लूट की सूचना प्राप्त हो रही है जिन लोगों ने अपने बीमा की राशि की किस्तें जमा की हैं उन्हें अधिकांश बीमा की राशि में नाममात्र की राशि दी गई है |
कुछ मामलों में तो 2 रुपैया 4 रुपैया बीमा की राशि दी गई है।
पूरे प्रदेश में लगभग 13लाख किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराया था।
क्रिफियो टोफिया व रिलायंस को फसल बीमा का काम सरकार ने दिया परंतु यह कंपनियां किसानों को भुगतान नहीं कर रही हैं। किसानों ने नोखिया कंपनी को 127 करोड रुपए प्रीमियम जमा कराया था और केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने अपने हिस्से के 170 करोड रुपए अंशदान के रूप में दिये थे।अब बीमा कंपनी को 1500 करोड़ का भुगतान करना है।
परंतु अभी तक उन्होंने भुगतान नहीं किया मुख्य सचिव कई बार फसल बीमा कंपनियों के अधिकारियों को भुगतान के लिए कह चुके हैं। इसके बावजूद भी कंपनी प्रबंधन पर कोई असर नहीं हो रहा है ।ऐसा लगता है कि अंबानी के राजनीतिक दबाव के चलते रिलायंस कंपनी सरकार को महत्व नहीं दे रही हैं।
प्रदेश सरकार ने जमीन आबन्टन का आंकड़ा बढ़ाने के लिए उन किसानों की जमीन को आबादी में घोषित कर दिया है जिन्होंने पैसा देकर जमीन खरीदी थी और बकायदा रजिस्ट्री कराई थी। यानी अप्रत्यक्ष रूप से सरकार किसानों की निजी जमीन को सरकारी जमीन घोषित कर व लिखकर पट्टेदार बना रही है तथा उन्हें इन पट्टो के नाम पर शुल्क भी देना होगा।यह चिंताजनक स्थिति है जिससे किसान व ग्रामवासियों में बेचैनी है। लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी छत्तीसगढ़ सरकार से मांग करती है कि 1 बीमा कंपनियों के वादे पर के अनुसार किसानो को बीमा की राशि दिया जाए। 2 किसानों की निजी जमीन को सरकारी आबादी घोषित ना करें क्योंकि यह वैधानिक और संवैधानिक नही होगा।
लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी छत्तीसगढ़ सरकार से इन मांगों को पूरा करने की मांग करती है। यदि सरकार ने इन मांगों को शीघ्र नहीं माना तो लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी धरना देगी । चर्चा के दौरान छत्तीसगढ़ लोसपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक पंडा, प्रदेश उपाध्यक्ष बंसी श्रीमाली जगदेव सिंह, श्याममनोहर आदि लोग उपस्थित थे।
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