गौरव ने हर बार बीच में हारने का रिकॉर्ड तोड़, देश के लिए पक्का किया मेडल
गौरव ने हर बार बीच में हारने का रिकॉर्ड तोड़, देश के लिए पक्का किया मेडलहर टूर्नामेंट में क्वार्टर फाइनल से बाहर होने का गौरव का रिकॉर्ड हो गया था।हैम्बर्ग, पीटीआइ। कमर की चोट और करीबी मुकाबले हारने से विश्व चैंपियनशिप से पहले गौरव बिधूड़ी का आत्मविश्वास टूटा हुआ था, लेकिन भारत के लिए यहां एकमात्र पदक पक्का करके उन्हें नई पहचान मिली है। गौरव अगर गुरुवार को अमेरिका के ड्यूक रेगन के खिलाफ 56 किग्रा का सेमीफाइनल मुकाबला जीत जाते हैं तो वह ऐसा करने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज होंगे। जुलाई के अंत तक 24 वर्षीय गौरव भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे, लेकिन फिर एशियाई परिसंघ ने उन्हें वाइल्ड कार्ड दिया। गौरव ने कहा, 'जब मुझे वाइल्ड कार्ड के बारे में पता चला तो मैं हर कोच से पूछता रहा कि क्या यह सही है। मैंने सभी से पूछा और सबने जब कह दिया कि हां ये सच है तो मैंने चैन की सांस ली।' दिल्ली का यह मुक्केबाज भारतीय सर्किट पर चर्चा का विषय था, क्योंकि हर टूर्नामेंट में क्वार्टर फाइनल से बाहर होने का उसका रिकॉर्ड हो गया था। वह दो बार विश्व चैंपियनशिप के लिए सीधे क्वालीफाई करने से चूक गए थे। अब विश्व चैंपियनशिप का क्वार्टर फाइनल जीतकर उन्होंने अपने इस मिथक को तोड़ दिया। उन्होंने कहा, 'मैं हर टूर्नामेंट में क्वार्टर फाइनल में हार गया। यहां भी क्वार्टर फाइनल तक पहुंचा तो नकारात्मक सोच मुझ पर हावी होने लगी कि कहीं फिर ऐसा न हो जाए। लेकिन फिर मुझे लगा कि मैं यह मिथक तोड़ सकता हूं। एक खिलाड़ी के लिए दिमाग पर काबू रखना बहुत मुश्किल होता है। मेरे दिमाग में भी हर तरह के विचार आ रहे थे।' जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने कैसे अपने अस्थिर मन पर काबू पाया तो उन्होंने कहा कि नकारात्मक चीजों पर काबू पाना इतना आसान नहीं था। उन्होंने हंसते हुए कहा, 'मेरे दिमाग में हर तरह के विचार आ रहे थे। कुछ सकारात्मक थे तो कुछ नकारात्मक भी। मेरे दिमाग में बहुत शोर था जिससे सिर्फ मैं ही सुन सकता था।'क्रिकेट की खबरों के लिए यहां क्लिक करेंअन्य खेलों की खबरों के लिए यहां क्लिक करेंBy Bharat Singh Let's block ads! (Why?)