लहू बोलता भी है - शेख़ मौला साहब
आइए, मिलते हैं______
आज़ाद ए हिंद के एक और मुस्लिम किरदार- शेख़ मौला साहब जी से:
शेख़ मौला साहब 1922 में आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले के परितला गांव में पैदा हुए शेख मौला साहब के वालिद का नाम मोहम्मद बीण् शेख मिर्ज़ा साहब था। आपका ख़ानदान ग़रीबी में रहते हुए भी मुल्कपरस्त ख़्यालात का था। मौला साहब स्कूल की पढ़ाई मिडिल से पहले ही छोड़कर घरेलू काम में लग गयेए लेकिन घर पर रहते हुए ही उन्होंने उर्दू और तेलुगु की पूरी जानकारी हासिल की।
शेख मौला साहब ने बहुत कम उम्र में ही अपने दोस्तों के साथ हिन्दुस्तान के नेशनल मूवमेंट की मीटिंगों में जाना शुरू कर दिया था। मुक़ामी नौजवानों के साथ परितला रिपब्लिक की आज़ादी का एलान करके आपने उसके हेडक्र्वाटर पर उसका अलग का झण्डा फहरा दिया।
इसके बाद आपको काफ़ी शोहरत मिली और आप उन सभी नौजवानों की टोली बनाकर जंगे.आज़ादी के हर प्रोग्राम में शामिल होने लगे। सन् 1947 में मुल्क़ के आज़ाद हो जाने के बाद भी जब परितला खन्नात ताल्लुक़े को आज़ादी नहीं मिलीए तब वहां के लोगों ने निज़ाम की हुकूमत के ख़िलाफ बग़ावत शुरू कर दी और दूसरी बार परितला रिपब्लिक के मुक़ामी सरकारी बिल्ड़िग से निज़ाम की हुकूमत का झण्डा उतारकर नेशनल फ्लैग फहराकर परितला की आज़ादी का एलान कर दिया।
यह परितला रिपब्लिक लगभग 18 महीने तक आज़ाद रही। निज़ाम.शासन ने झण्डा फहराने के जुर्म में शेख मौला साहब को तीन साल की सज़ा सुनाकर उन्हें जेल भेज दिया।
जेल से रिहा होने के बाद इसी इल्ज़ाम के लिए जागीरदार ने अंग्रेज़ अफ़सरों को खुश करने के लिए सामुदायिक पंचायत बुलाकर मौला साहब के परिवार सेसन् सोशल बाइकाट का एलान करके उनके परिजनों के सिर पर जूता रखवाकर जुलूस की शक़्ल में ताल्लुके से बाहर कर दिया।
इसका उन्हें बहुत सदमा लगा। ऐसे हालात में डर से उनके कई साथीयों ने भी आपका साथ छोड़ दिया। इन हालात में मौला साहब ने तन्हाई अख़्तयार कर ली।
जब इस वारदात की जानकारी महात्मा गांधी को हुई तो वह बहुत नाराज़ हुए और निज़ाम का शासन ख़त्म कराकर उसकी रियासत को भारतीय रिपब्लिक में शामिल करा दिया। तब शेख मौला साहब और उनके कुछ साथियों ने सामने आकर जश्न मनाया और उन्हें स्वतंत्रता.संग्राम.सेनानी का दर्जा मिला। आप जब तक ज़िन्दा रहेए राष्ट्रीय और समाजी कामों में हिस्सा लेते हुए नौजवान पीढ़ी को हुब्बुल वतनी का सबक़ पढ़ाते रहे। 91 साल की उम्र में सन् 2013 में बीमारी के बाद आप इन्तकाल कर गये।
शेख मौला साहब जब भी कभी सड़क पर किसी जुलूस व जलसे में जाते तो यह गाना वह ख़ुद गाते और साथ के लोगों को भी गवाते थे.ष्दूर हटो ऐ दुनिया वालोंए हिन्दुस्तान हमारा है।
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