
जंगे- आज़ादी- ए-हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- मोहम्मद ग़ौस बेग
लहू बोलता भी है,
आईये, जानते हैं, जंगे- आज़ादी- ए-हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार - मोहम्मद ग़ौस बेग जी को
मोहम्मद गौस बेग की पैदाइश 12 सितम्बर सन् 1885 को मौजूदा आंध्रप्रदेश चिरालामण्डल के प्रकाशम ज़िले के गंटयापलेम गांव में हुई थी।
इनके वालिद का नाम हाजी मोहिउद्दीन बेग व वालिदा का नाम फ़ातिमा था।
आप अपनी पढ़ाई के दिनों से ही मुल्क़ की आज़ादी के लिए होनेवाले प्रोग्रामों में दिलचस्पी रखते थे। सन् 1907 में ब्रिटिश हुकूमत के खि़लाफ आप अवामी जलसे में शरीक हुए और सन् 1920 में आॅल इण्डिया कांग्रेस कमेटी के कलकत्ता कांफ्रेंस में आंध्र कांग्रेस के सचिव दुग्गीराला गोपालड्डष्णन के साथ शामिल होकर कांग्रेस की मेम्बरी हासिल करके आज़ादी की जंग में सक्रिय हो गये।
आंध्रप्रदेश के चिराला.पेराला आंदोलन में आपने अहम किरदार निभाया।
इसी आंदोलन से आपका नाम भी हुआ।
यह आंदोलन अंग्रेज़ी हुकूमत के उस फैसले के खिलाफ़ हुआ थाए जिसके ज़रिये चिराला और पेराला क़स्बों को नगरपालिका मंे शामिलकर नया टैक्स लगा दिया गया था।
टैक्स इतना ज़्यादा था कि अवाम को देना मुश्किल था।
इसी फैसले के खिलाफ़ जनता ने अंग्रेज़ी हुकूमत के खिलाफ़ बग़ावत का झण्डा बुलंद कर दिया।
इस आंदोलन की रहनुमाई मोहम्मद ग़ौस ने की थी। ग़ौस ने टैक्स न देने के लिए मुल्क के पहले सिविल नाफ़रमानी आंदोलन का नेतृत्व किया। मोहम्मद गौस बेग ने खि़लाफ़त आंदोलन और असहयोग आंदोलन में भी हिस्सा लिया जिसके चलते एक साल के लिए जेल की सज़ा पायी।
जेल से वापस आने पर उन्होंने रामाडांडू नाम से एक सेना बनायी। फिर उसी सेना के ज़रिये नमक सत्याग्रह और सिविल नाफ़रमानी आंदोलन चलाया।
सन् 1930 से 1932 के बीच इन्हीं आंदोलनों के चलते आपने जेल की सज़ा काटी। ब्रिटिश नौकरशाहों ने इस बार जेल की सज़ा के साथ.साथ उनकी सारी ज़ायदाद भी जब्त कर ली।
जेल से छूटने के बाद पूरे परिवार ने बहुत मुसीबत का वक़्त काटाए लेकिन हिम्मत नहीं हारी।
आपने महात्मा गांधी के स्वदेशी आंदोलन को भी आंध्रप्रदेश में फैलाया। आप एक अच्छे स्पीकर भी थेए इसलिए हर जलसे में आपको जाना पड़ता था।
आपने मुस्लिम लीग के बंटवारे के प्रस्ताव की भी मुख़ालिफ़त की और जलसे करके मुस्लिम इलाक़ों में पाकिस्तान बनने के खिलाफ़ माहौल बनाया जिनका बहुत असर दिखायी दिया। आप जब तक ज़िन्दा रहेए हिन्दू.मुस्लिम एकता और भाईचारे के लिए सामाजिक स्तर पर बहुत काम किया।
सन् 1947 में आप म्युनिस्पल कांउसलर चुने गये। 19 सितम्बर सन् 1976 को आपका इंतकाल हो गया।
swatantrabharatnews.com