बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, चारधाम यात्रा पूरी तरह से शुरू
बद्रीनाथ, 30 अप्रैल: भाषा: गढ़वाल के उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट छह माह के शीतकालीन अवकाश के बाद आज बह्रम मुहूर्त में श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये गये जिसके बाद इस वर्ष की चारधाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो गयी ।
गढ़वाल हिमालय में चारधाम के नाम से प्रसिद्ध अन्य तीनों धाम, गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ, पहले ही श्रद्धालुओं के लिए खुल चुके हैं ।
मंदिर परिसर में ठंड के बावजूद बद्रीनाथ केदारनाथ मन्दिर समिति के अध्यक्ष गणेश गोदियाल और मुख्य कार्याधिकारी वी डी सिंह समेत कई श्रद्धालुओं की मौजूदगी में भगवान बद्रीनाथ के जयघोष के बीच वैदिक रीति से विधिवत पूजा अर्चना के बाद तड़के साढे़ चार बजे मंदिर के कपाट खोले गये ।
कपाट खोले जाने की प्रक्रिया बद्रीनाथ मन्दिर के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूरी ने सम्पन्न की। कपाट के खुलते ही पहले से सिंहद्वार के सामने खडे श्रद्वालुओं ने भगवान बद्रीविशाल की अखण्ड ज्योति के दर्शन किए और पहले दिन की पूजा में शिरकत की ।
कपाट खुलने के मौके पर मन्दिर सहित पूरे परिसर को गेंदे के पीले फूलों से सजाया गया था। सेना के बैण्डों की मधुर धुन और स्थानीय वाद्य-यंत्र ढोल-दमाऊ की थाप व गीत और भजनों से मन्दिर परिसर का माहौल भक्तिमय बन गया था।
कपाट खुलने के बाद गर्भगृह से भगवान पर लपेटा घी और कम्बल का प्रसाद प्राप्त करने की श्रद्वालुओं में होड़ लगी रही। शीतकाल में भगवान बद्रीनाथ को माणा गांव की कुंआरी कन्याओं द्वारा ऊन से बुने कपड़े और घी के साथ लपेटा जाता है जो कपाट खुलने के बाद प्रसाद के रूप में श्रद्वालुओं में वितरित किया जाता है।
पिछले कुछ दिनों से बद्रीनाथ में हो रही बारिश के कारण इस बार यहां सर्दी अपेक्षाकृत अधिक है लेकिन बर्फ काफी कम है। चोटियों को छो़ड़कर बर्फ कम जगह पर ही दिखायी दे रही है जबकि पूर्व के वर्षों में अप्रैल में कपाट खुलने पर बद्रीनाथ पुरी और कई स्थानों पर अलकनन्दा नदी ग्लेशियरों से ढकी रहती थी।
यात्रा शुरू होते ही बद्रीनाथ में अधिकतर दुकानें और होटल आदि खुल गए हैं। यात्रियों को खानपान में असुविधा न हो, इसके लिए बद्रीनाथ मन्दिर समिति तथा कई अन्य संगठनों की ओर से भण्डारे लगाये गए थे।
बद्रीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही इस वर्ष की चारधाम यात्रा पूरी तरह से शुरू हो गयी है । केदारनाथ धाम के कपाट कल खोले गये थे जबकि गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट 18 अप्रैल को अक्षय तृतीया के पर्व पर खोले गये थे ।
सर्दियों में भारी बर्फवारी और भीषण ठंड की चपेट में रहने के कारण चारों धामों के कपाट अक्टूबर—नवंबर में श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिये जाते हैं जो अगले साल अप्रैल—मई में दोबारा खोल दिये जाते हैं । छह माह के सीजन के दौरान देश—विदेश के लाखों श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर पहुंचते हैं।
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