
उत्तराखंड HC ने वापस मांगी वरिष्ठ वकील की गाउन, कहा- वह इसके लायक नहीं
जस्टिस सिंह को इस बात पर गुस्सा आया कि रावत ने कई साल पहले अपने जिस क्लाइंट की वकालत की थी अब वह उसके खिलाफ केस लड़ रहे हैं.
उत्तराखंड, 10 अप्रैल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने एक वरिष्ठ वकील पर गलत बयानी और अनैतिक व्यवहार को दोषी मानते हुए उनसे उनका पद वापस लेने का फैसला किया है.
जस्टिस लोकपाल सिंह ने वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह से उनका पद वापस लेने का सुझाव दिया है. उन्होंने इस मामले को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के सामने रखने के निर्देश दिए हैं.
जस्टिस लोकपाल सिंह की बेंच ने कहा, "यह एकदम साफ है कि वरिष्ठ अधिवक्ता बनने के बाद अवतार सिंह रावत ने कोर्ट द्वारा दिए गए इस पद का दुरुपयोग किया. कोर्ट की राय है कि वह वरिष्ठ अधिवक्ता के पद पर रहने के लायक नहीं हैं. इसलिए रावत से सीनियर एड्वोकेट का पद छीनने/रद्द करने के लिए इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के सामने रखा जाना चाहिए."
यह फैसला फरवरी में दिया गया था, लेकिन सोमवार को इसे जारी किया गया. बताया जाता है कि इस 'रेयर' आदेश में कुछ जरूरी बदलाव करने में जज को थोड़ा समय लग गया. जस्टिस सिंह को इस बात पर गुस्सा आया कि रावत ने कई साल पहले अपने जिस क्लाइंट की वकालत की थी अब वह उसके खिलाफ केस लड़ रहे हैं.
इस क्लाइंट ने रावत के खिलाफ प्रोफेशनल मिसकंडक्ट की शिकायत की थी. रावत ने इस आरोप का खंडन करते हुए दलील दी थी कि एक वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर वह कभी भी किसी का भी केस लड़ सकते हैं.
पिछला मामला 2009 का है. इसके रिकॉर्ड के मुताबिक रावत ने उस मामले में वकालतनामा फाइल किया था. हालांकि उस समय उन्हें वह केस नहीं दिया गया था.
बेंच ने इस बात पर आपत्ति दर्ज की कि कोर्ट द्वारा मौका दिए जाने के बाद भी रावत ने खुद को हालिया मामले से अलग नहीं किया. इस मामले में वह पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन के लिए कोर्ट में पेश हुए और अपने पूर्व क्लाइंट के खिलाफ केस लड़ा. जबकि दोनों मामलों के विषय एक ही थे.
जस्टिस सिंह ने कहा, “वरिष्ठ अधिवक्ता रावत का व्यवहार व्यावसायिक कोड ऑफ कंडक्ट के खिलाफ है और यह उनके हिस्से में एक गलत व्यवहार है.” जज ने आगे कहा कि प्रोफेशनल मिसकंडक्ट के मामले पर बार काउंसिल विचार करेगा लेकिन रावत के पद को लेकर फैसला किया जाना अनिवार्य है क्योंकि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उन्हें वरिष्ठ अधिवक्ता का पद दिया है.
उन्होंने कहा, “एक वकील को उसकी प्रामाणिकता, चरित्र, नैतिक और एथिकल स्टैंडर्ड के लिए जाना जाता है. एक वकील को उसके ज्ञान के लिए जाना जाता है. ऐसे में जानबूझकर की गई गलती स्वीकार्य नहीं है. रिकॉर्ड से पता चलता है कि रावत ने जानबूझकर गलती की थी.”
कोर्ट ने कहा कि रावत ने पहले कोर्ट में गलत जानकारी दी कि वह अपने वर्तमान क्लाइंट की विपक्षी पार्टी के कभी वकील नहीं रहे हैं और दूसरा यह कि वह कोर्ट में दलील देते हैं कि वह वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और जो चाहे वह केस कर सकते हैं.
जस्टिस सिंह ने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिए हैं कि उनका आदेश आगे की प्रोसेसिंग के लिए मुख्य न्यायाधीश के सामने रखा जाए.
(साभार: न्यूज़ 18)
संपादक: स्वतंत्र भारत न्यूज़
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