
हैं गोश्तखोर लेकिन.....!
लखनऊ: 29 मार्च: सोमवार को नवरात्र पर्व समाप्त हुआ , पूजन सामग्री के विसर्जन और दशमी की हिचक ने हिन्दू गोश्तखोरों को मुर्गे, मटन, मछली की दुकानों से दूर रक्खा।
दूसरे दिन भगवान विष्णु के भक्तों की एकादशी और बजरंगबली के भक्तों का मंगल था लिहाजा मांसाहार की दुकानों पर सन्नाटा रहा।
बुधवार को राजधानी की गोश्त की दुकानों में मटन, चिकन की मारामारी के चलते दोनों का गोश्त कम पड़ गया।
15 किलोमीटर गोलार्ध के शहरी इलाके में कई गोश्त की दुकानों पर लम्बी-लम्बी लाइने देखने को मिली , वहीँ कई जगहों पर मुंबई की तर्ज पर टोकन सिस्टम से गोश्त बिका। बता दें कि मटन 500 रूपये, चिकन 160-200 रूपये, मछली 200-600 रूपये किलो के भाव से बिक रहे हैं। वहीं भैंस का गोश्त 150 रूपये किलो है।
गौरतलब है कि हिन्दुओं की बड़ी आबादी गोश्तखोर है लेकिन मंगलवार ,बृहस्पतिवार और शनिवार , एकादशी,गणेश चतुर्थी के अलावा नवरात्रों, श्राद्ध पर्व सहित कई मौकों पर इन्हीं हिन्दुओं का बड़ा तबका शुद्ध शाकाहारी हो जाता है |
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