JDS पर राहुल और सिद्धारमैया के प्रहार से कांग्रेस नेताओं में ही 'रार'
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, जेडीएस पर राहुल और सिद्धारमैया का यह वार मल्लिकार्जुन खड़गे, जी परमेश्वर और डीके शिवकुमार जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के गले नहीं उतर रहा.'
कर्नाटक, 26 मार्च: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने जब से देवेगौड़ा की जनता दल-सेक्युलर (जेडीएस) को बीजेपी की बी टीम करार दिया, तभी दोनों पार्टियों के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है. वहीं कांग्रेस के ही कुछ वरिष्ठ नेता इस बात से नाखुश बताए जा रहे हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा को 'बीजेपी का साथी' कहा जाए.
दरअसल राहुल गांधी ने पिछले दिनों हैदराबाद-कर्नाटक और मुंबई-कर्नाटक इलाकों में हुई अपनी चुनावी सभाओं में जेडीएस की जगह बस बीजेपी को ही निशाना बनाया था. दरअसल इस इलाके में जेडीएस चंद सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारती है और यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच ही देखा जाता रहा है.
हालांकि चिकमंगलूर, हासन, मैसूर, चमराजनगर और मांड्या जैसे जेडीएस के गढ़ में अपने हालिया संपन्न चुनावी दौरे में राहुल गांधी ने उस पर सीधा हमला बोला और जेडीएस को बीजेपी की बी टीम करार दिया.
हासन और फिर मैसूर में जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, 'जेडीएस में एस का मतलब अब सेक्यूलर नहीं, बल्कि संघ परिवार हो गया है. जेडीएस ही अब असल में जनता दल संघ परिवार है.'
वहीं जेडीएस में कभी नंबर दो रहे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया तो अपनी पुरानी पर प्रहार करने में राहुल से भी दो कदम आगे निकलते दिखे. उन्होंने कहा, 'जेडीएस में अब कोई नैतिकता नहीं बची है. देवेगौड़ा के बेटे एचडी कुमारास्वामी के नेतृत्व में अब वह बस वोट कटुआ पार्टी बन गई है. बीजेपी के साथ उनका समझौता हो चुका है.'
हालांकि कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, जेडीएस पर राहुल और सिद्धारमैया का यह वार मल्लिकार्जुन खड़गे, जी परमेश्वर और डीके शिवकुमार जैसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के गले नहीं उतर रहा.'
वहीं कुमारस्वामी ने भी यह कहकर इन नेताओं की नाराजगी और बढ़ा दी कि सिद्धारमैया नहीं चाहते कि उनकी जगह खड़गे, परमेश्वर या शिवकुमार अगले सीएम बने और इसीलिए वह ऐसे हालात बना रहे हैं कि त्रिशंकु विधानसभा (हंग असेंबली) की सूरत में जेडीएस कांग्रेस को समर्थन ही न दे.
हालांकि सिद्धारमैया कैंप का दावा है कि जेडीएस पर प्रहार करना मुख्यमंत्री का चालाकी भर कदम है. वह कहते हैं कि जेडीएस को बीजेपी का साथी बताने से मुस्लिम, दलित, आदिवासी और बीजेपी विरोध वोकालिगा समुदाय का वोट उससे छिटकेगा, क्योंकि वह बिल्कुल नहीं चाहते कि बीजेपी यहां सत्ता में आए.
वहीं कर्नाटक की राजनीति के जानकार कहते हैं कि जेडीएस और बीजेपी का कोर वोटबैंक लिंगायत और वोकालिगा हैं, जो एक दूसरे पर कतई भरोसा नहीं करते और दोनों पार्टियों की दोस्ती की सुनकर कुछ हद तक उससे जरूर छिटकेंगे.
वहीं खुद को 'असल' कांग्रेसी बताने वाले नेता कहते हैं कि गौड़ा परिवार से सिद्धारमैया की निजी दुश्मनी चुनाव बाद की संभावनाओं के लिए नुकसानदेह हो सकती है. जेडीएस पर इस तरह से हमला करना ठीक नहीं क्योंकि ऐसी सूरत में वह चुनावों के बाद बीजेपी से जरूर हाथ मिला सकती है.
ऐसे ही एक कांग्रेसी नेता कहते हैं, 'सिद्धारमैया गौड़ा परिवार से नफरत करते हैं. लेकिन यह उनकी निजी समस्या है और वह अपने निजी वजहों से कांग्रेस और जेडीएस के रिश्तों में दरार डाल रहे हैं. सबसे चिंता की बात तो यह है कि चुनावों के बाद अगर हमें समर्थन के लिए गौड़ा के दरवाजे जाना पड़ा तो क्या होगा. सिद्धारमैया पांच साल मुख्यमंत्री रह चुके हैं. उनके पास खोने के लिए ज्यादा कुछ नहीं, लेकिन वह हमारी उम्मीदों को तो न तोड़ें.'
वहीं कुछ नेता को लगता है कि सिद्धारमैया ने राहुल गांधी को भी जेडीएस पर हमले के लिए मना लिया है और वह भी 'असली' कांग्रेसी नेताओं से पूछा बिना ही उनकी (सिद्धारमैया) जाल में फंस गए
(साभार: न्यूज़-18)
संपादक: स्वतंत्र भारत न्यूज़
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