इराक में अगवा 39 भारतीयों की हत्या.
खुद को मुस्लिम बताकर बच निकला था एक भारतीय, बाकी 39 की मौत: सुषमा स्वराज
सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में बताया कि हत्या के बाद जमीन में दफनाए गए सभी शवों को डीप पेनिट्रेशन राडार के जरिए खोज लिया गया है.
नयी दिल्ली, 20 मार्च: इराक में अगवा 39 भारतीय नागरिक मारे गए हैं. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इसकी पुष्टि की. उन्होंने बताया कि हत्या के बाद जमीन में दफनाए गए सभी शवों को डीप पेनिट्रेशन राडार के जरिए खोज लिया गया है. शवों को बाहर निकालकर उनका डीएनए टेस्ट भी किया गया है. बता दें कि जून 2014 में इराक के मोसुल शहर में आतंकी संगठन आईएसआईएस ने कम से कम 40 भारतीयों का अपहरण किया था. इनमें से एक व्यक्ति खुद को बांग्लादेश से आया मुस्लिम बता कर बच निकला. बाकी 39 भारतीयों को बदूश ले जा कर मार डाला गया. अगवा भारतीयों को बदूश शहर ले जाए जाने के बारे में जानकारी उस कंपनी से मिली, जहां ये भारतीय काम करते थे.
सुषमा ने बताया कि विदेश राज्य मंत्री वी के सिंह ने इराक में भारतीय राजदूत और इराक सरकार के एक अधिकारी के साथ बदूश शहर जा कर जब अगवा भारतीयों की खोज शुरू की, तब वहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि आईएसआईएस आतंकियों ने कुछ शव दफनाए हैं.
विदेश मंत्री ने बताया कि 'डीप पेनिट्रेशन राडारों' की मदद से पता लगाया गया कि जिस गड्ढे में शवों को दफनाए जाने की बात कही जा रही है, उसमें सचमुच क्या है. रडारों से जांच करने पर पता चला कि गड्ढे में शव हैं.
सुषमा ने राज्यसभा सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, "शवों के अवशेष को बगदाद भेजा गया, जहां उनके डीएनए सैंपल लिए गए और उन्हें पंजाब, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और बिहार में मौजूद उनके रिश्तेदारों के पास भेजा गया. कल हमें जानकारी मिली कि 38 शवों के डीएनए मैच कर गए हैं और 39वें व्यक्ति का डीएनए 70 फीसदी मैच किया है." विदेश मंत्री ने बताया कि बगदाद में मार्टायर्स फाउंडेशन से इन शवों की डीएनए जांच करने का अनुरोध किया गया था.
सुषमा ने बताया कि शवों के अवशेष वापस लाने के लिए जनरल वीके सिंह इराक जाएंगे. शवों के अवशेष लाने वाला विमान पहले अमृतसर, फिर पटना और कोलकाता जाएगा.
सबूत न मिलने तक मौत की घोषणा नहीं
सुषमा ने कहा, "27 जुलाई को राज्यसभा में चर्चा के दौरान मैंने कहा था कि जब तक कोई भी सबूत नहीं मिल जाता, मैं उनकी हत्या या मौत की घोषणा नहीं करूंगी. लेकिन अाज वह समय आ गया है. हरजीत मसी की कहानी सच्ची नहीं थी."
बता दें कि सभी 39 लोग इराक के मोसुल में काम कर रहे थे. जून 2014 में आईएसआईएस ने उन्हें अगवा कर लिया था. गायब भारतीयों की तलाश के लिए भारत ने इराक से मदद मांगी थी.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अमृतसर के मानावाला के रहने वाले रंजीत सिंह की मोसुल में आईएसआईएस के आतंकवादियों के हाथों मारे जाने की खबर आई है. जिन 39 लापता भारतीयों के मौत की पुष्टि हुई है. उनमें रंजीत सिंह का नाम भी शामिल है. रंजीत सिंह की बहन जसप्रीत कौर इस बारे में बात करने पर फूट-फूट कर रो रही हैं. हालाकि इस मामले में वो ज्यादा नही बात करना चाहती. केवल अपने भाई के बारे में वो आखिरी बातचीत को याद कर रही हैं. जसप्रीत कौर कहती हैं कि आखिरी बार अपने भाई से 15 जून 2014 को बात हुई थी. उस दौरान उन्होंने घर आने के बारे में भी बात की थी और कहा था कि वो घर आएंगे.
(साभार: मल्टी मीडिया)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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