यूनियन के संरक्षण में वर्कशॉप में हुआ भ्रष्टाचार का नंगा नाच- बिना टेंडर खरीदा गया 8 हजार किलो नमकीन!
झांसी: आपने एक कहावत सुनी होगी जब मेड़ ही खेत को खाने लगे तब फिर उसे बचायेगा कौन…। यानि जब रखवाला ही भक्षक बन जाये फिर क्या कहने।बीते दिनों वर्कशॉप केंटीन में यही हुआ। लगभग 8 हजार किलो नमकीन यहां पर मेंस यूनियन की संचालक समिति और मैनेजर एस एस सिसोदिया ने मिलकर न सिर्फ बिना किसी टेंडर के बाजार से घटिया क्वालटी का खरीदा बल्कि डिप्टी सीपीओ बिष्ठ की ईमानदारी को कठघरे में खड़ा कर दिया। केंटीन के इतिहास में यह पहली बार हुआ है जब निजीकरण की सबसे बड़ी विरोधी लाल झण्डे की यूनियन ने स्वयं खुद इसे बढ़ावा दिया और कर्मचारियों के साथ धोखा किया।
होली के अवसर पर वर्कशॉप में भ्रष्टाचार की होली जमकर खेली गई। इस अवसर पर कर्मचारियों को देनें के लिए लगभग 8 हजार किलो नमकीन केंटीन के इतिहास में पहली बार बाजार से खरीदा गया। अभी तक यह नमकीन केंटीन के कर्मचारी स्वयं बनाते थे। जो टेस्ट में भी सही होता था लेकिन अब इनके पेट पर लात मारने की तैयारी कर ली गई। सबसे बड़ी बिडम्बना तो यह है कि इसमें खुला सपोर्ट लाल झण्डे की यूनियन के उन पांचों सदस्यों का रहा जिन्हें कर्मचारियों ने जिताकर केंटीन चलाने का जनादेश दिया था।
वर्षों से वर्कशॉप के कर्मचारियों को सस्ता व अच्छा खाना कम दामों पर इस केंटीन के जरिये मिलता रहा।लेकिन यूनियनों की बढ़ती महत्वकांक्षा इसे बर्बादी के कगार पर ले आई। अनाप शनाप खर्चो को मंजूरी देने के कारण आज यह बन्द होने के कगार की ओर बढ़ चली है। किसी समय प्रॉफिट में रही यह केंटीन आज घाटे की ओर बढ़ चली है। दरअसल सूत्रों ने रेलवार्ता को बताया कि प्रशासन और यूनियन अब इसे निजी हाथों में सौपने की ओर बढ़ रहे है। बाजार से नमकीन खरीदना इसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
वहीं दूसरी ओर 8 हजार किलो नमकीन बाजार से खरीदने के लिए किसी भी प्रकार का कोई टेंडर आदि जारी नहीं करना इसमें हुए बड़े गोलमाल की ओर इशारा कर रहा है। इसमें सबसे बड़ी भागेदारी केंटीन मैनेजर व लाल झण्डे की यूनियन के चुने हुए प्रतिनिधियों की रही। कई कर्मचारियों ने रेलवार्ता की बताया कि घटिया क्वालटी का नमकीन उन्हें दिया गया। 90 रुपये किलो के हिसाब से बने इस नमकीन को एक अनजान ठेकेदार के जरिये खरीदा गया। सूत्रों का दावा है कि इस खेल में मेंस यूनियन सदस्यों ओर केंटीन मैनेजर ने बड़ा घोटाला किया है। इतनी बड़ी मात्रा में नमकीन खरीदने के लिए कब खेल हो गया किसी को कानों कान खबर नही लगी। न तो किसी समाचार पत्र में इसको लेकर कोई सूचना दी गई और न ही किसी प्रकार की कोई निविदा आदि जारी की गई। इस संबंध में जब रेलवार्ता ने इसके मैनेजर से वस्तु स्थिति जानने की कोशिश कि तो उसका पारा चढ़ गया। उसका कहना था कि जो भी जानकारी चाहिए वह डिप्टीसीपीओ बिष्ठ से लो। जल्द ही इसका वीडियो आपके सामने होगा। किस तरह से सच्चाई खुलने के डर से घबड़ा रहा था मेनेजर एसएस सिसोदिया।
वहीं दूसरी ओर सूत्रों का दावा है कि भ्रष्टाचार के इस खेल में उन्हें पूरी तरह से अंजान रखा गया है। चूंकि वह अभी नए आये हैं इसलिए सम्भवतः उन्हें इस प्रक्रिया की जानकारी नही रही होगी। यदि जानकारी रहते हुए भी इस खेल को उन्होंने बढ़ावा दिया हो तो इस सम्बंध में अभी फिलहाल कोई जानकारी उपलब्ध नही है।
(साभार: रेल्वार्ता)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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