उपचुनाव: क्या 2019 तक बहुमत से नीचे लौट जाएगी बीजेपी?
बीजेपी 2017-18 में सभी 10 उपचुनाव हार चुकी है.
साल 2014 देश में 16 मई के बाद देश की राजनीती में एक ही नाम छा गया. हर-हर मोदी, घर-घर मोदी. देश का चप्पा-चप्पा भाजपा हो गया. इसके बाद अमित शाह देश के नए चाणक्य बन गए. देश के तमाम राज्यों में एक-एक कर बीजेपी सरकार बनने लगी. जिन राज्यों में सरकार सीधे नहीं बनी, वहां 'कुछ और' कर के सरकार बना ली गई. लेकिन इन सबके बीच बीजेपी उपचुनाव हारती गई. आज की तीन सीटें मिला लें तो बीजेपी ने लगातार सात उपचुनाव हारे हैं.
हालत अब ये है कि अगर अमित शाह एंड पार्टी अगले दो उपचुनाव हार जाती है तो बीजेपी ठीक बहुमत पर आ जाएगी. हालांकि सरकार की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा. बस विपक्ष को खुश होने के लिए मन का धन मिल जाएगा. अगर आने वाले चुनावों में पार्टी की कोई और लोकसभा सीट खाली हुई तो सरकार तकनीकी रुप से बहुमत के नीचे भी जा सकती है.
क्या है गणित?
बीजेपी ने 2014 में 282 सीटें जीतीं. इनमें अलग-अलग कारणों से उपचुनाव हुए. विनोद खन्ना के निधन से खाली हुई गुरदासपुर सीट, योगी और केशव प्रसाद मौर्य के विधान परिषद जाने से खाली हुई गोरखपुर और फूलपुर सीट की तरह ही चित्रकूट, अजमेर, अलवर, में उपचुनावों में बीजेपी हार गई. इस तरह से बीजेपी 6 सीटों का घाटा उठाकर 276 पर आ गई है. इसके अलावा दो और सीटें बीजेपी के सांसदों के निधन से खाली हैं. यूपी का कैराना, हुकुम सिंह और महाराष्ट्र का पालघर चिंतामन वानगा के निधन से खाली है. ये वो सीटें हैं जहां बीजेपी के सांसद थे. जो सीटें किसी और पार्टी के सांसद के निधन से खाली हुई थीं वहां भी पार्टी को जीत नसीब नहीं हुई.
(साभार: फर्स्ट पोस्ट)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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