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समर्थन मूल्य का बोझ जनता पर
► आईटीसी का कहना है कि एमएसपी की गारंटी से एफएमसीजी की कीमतें बढ़ेंगी
► कंपनी ने कहा, संशोधित एमएसपी प्रभावी होने के बाद कंपनियां शायद इस अतिरिक्त लागत के एक हिस्से का भार उठाएगी, लेकिन बढ़ी लागत के एक हिस्से का भार उपभोक्ताओं पर भी डालना होगा
► मध्य प्रदेश की व्यवस्था अच्छी कोशिश है, जहां किसानों को एक तय रकम तब मिलती है जब कीमतें एमएसपी से नीचे चली जाती है
► राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा हो सकता है, यह देखा जाना अभी बाकी है
आईटीसी लिमिटेड ने कहा है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने के केंद्र के प्रस्ताव का भार उपभोक्ताओं को उठाना पड़ सकता है, जो किसानों की लागत के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा होगा। कंपनी के ग्रुप हेड (कृषि कारोबार) एस शिवकुमार ने कहा, इस वजह से एफएमसीजी की कीमतें बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को ज्यादा कीमत चुकानी होगी।
उन्होंने कहा, संशोधित एमएसपी प्रभावी होने के बाद कंपनियां शायद इस अतिरिक्त लागत के एक हिस्से का भार उठाएगी, लेकिन बढ़ी लागत के एक हिस्से का भार उपभोक्ताओं पर भी डालना होगा। शिवकुमार ने कहा, किसानों के लिए बेहतर आय सुनिश्चित आय की प्राथमिकता तय करना अच्छी बात है और वक्त की जरूरत भी, लेकिन इसका मतलब निश्चित तौर पर उपभोक्ताओं के लिए ऊंची कीमत होगी। कीमत कितनी ज्यादा होगी यह बाजार के आयाम पर निर्भर करेगा।
शिवकुमार लगातार सरकार व अन्य को कृषि व खाद्य क्षेत्र से जुड़े नीतिगत मसले पर सलाह देते रहे हैं। उन्होंने कहा, केंद्र के फैसले से गेहूं व दालों की उपभोक्ता कीमतें तत्काल प्रभावित हो सकती है क्योंकि सरकार ने एमएसपी लागत के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा देने का प्रस्ताव रखा है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 के बजट भाषण में ऐलान किया था कि केंद्र सरकार 2018 के खरीफ सीजन से एमएसपी की गारंटी लेगी, जो उत्पादन लागत के मुकाबले 50 फीसदी ज्यादा होगा। यह हालांकि अभी सैद्धांतिक स्तर पर है और इसके लिए उचित व्यवस्था बनाएगी ताकि किसानों को एमएसपी मिलना सुनिश्चित हो। बाद में उन्होंने स्पष्ट किया कि उत्पादन लागत ए2 और एफएल होगी (जिसमें पारिवारिक श्रमिक शामिल होगा, लेकिन जमीन किराए की लागत नहीं)।
किसान संगठन मांग कर रहे हैं कि एमएसपी का आकलन सी-2 को लागत मानते हुए हो, न कि ए2 व एफएल के आधार पर। उन्होंने कहा, हमें यह भी देखना होगा कि किसानों को ज्यादा एमएसपी के लिए सरकार किस तरह की व्यवस्था तैयार करती है क्योंकि ओपन-ऐंडेड खरीद बाजार को बिगाड़ सकता है।
शिवकुमार ने कहा, मध्य प्रदेश की व्यवस्था अच्छी कोशिश है, जहां किसानों को एक तय रकम तब मिलती है जब कीमतें एमएसपी से नीचे चली जाती है और यह उनके खाते में जमा हो जाता है, लेकिन क्या राष्ट्रीय स्तर पर ऐसा हो सकता है, यह देखा जाना अभी बाकी है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से हाल में गेहूं पर 1375 रुपये प्रति क्विंटल के एमएसपी पर 200 रुपये के बोनस का ऐलान हुआ है, जिसका असर आईटीसी पर नहीं पड़ेगा क्योंकि यह राज्य से प्रीमियम गुणवत्ता वाला गेहूं खरीदती है।
देश में गेहूं की खरीद करने वाली निजी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों में आईटीसी शामिल है। यह सालाना करीब 20 लाख टन गेहूं अपने पैकेज्ड बिजनेस के लिए खरीदती है, जिसमें से मध्य प्रदेश से 2-2.5 लाख टन गेहूं खरीदा जाता है। कंपनी अपने आशीर्वाद ब्रांड आटे से करीब 30 अरब रुपये अर्जित करती है। उन्होंने कहा, वह फार्मलैंड ब्रांड के तहत ताजे फलों व सब्जियों के पोर्टफोलियो का विस्तार करेगी और इसमें आलू व सेब के साथ छह हरी सब्जियां शामिल करेगी।
(साभार: बिजनेस स्टैन्डर्ड)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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