संसदीय समिति ने रेलवे में 2.22 लाख से अधिक खाली पद को भरने की सिफारिश की.
रेलवे में सभी श्रेणियों में 2.22 लाख से अधिक पद रिक्त पड़े होने से चिंतित संसद की एक समिति ने सरकार से रिक्त पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरने की सिफारिश की है. ____ संसदीय समिति
पिछले 45 वर्षों से रिटायर्ड कर्मचारियों के पद पर भर्ती बंद है तथा रिक्त पद सरेंडर किया जाता रहा है. अतः रेल के अधोसंरचना के अनुपात में लगभग 22 लाख रिक्त पद भरे जांय
संसद की समिति "देश-हित / रेल-हित में सुरक्षित रेल यातायात मुहैया कराने के उद्देश्य से रेलवे में रिक्त पदों की गड़ना हेतु पुनर्विचार करे तथा रेल नियमों व मापदंडों के अनुरूप रिक्त पदों की गड़ना व भर्ती की सिफारिस करें".
संसद की समित "रिक्त पद के आंकलन के आधार" को सार्वजानिक करे. जिससे देश की जनता जान सके कि, रेल में रिक्त पद के आंकलन का आधार क्या है?-
____ सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव, महामंत्री- रेल सेवक संघ
नई दिल्ली, 07 मार्च 2018: जहां कल संसद की समित ने रेलवे की सभी श्रेणियों में 2.22 लाख से अधिक पद रिक्त पड़े होने पर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से रिक्त पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरने की सिफारिश की है, वही रेल कर्मचारिओं की यूनियन - रेल सेवक संघ के महामंत्री- सच्चिदा नन्द श्रीवास्तव ने इसे ऊंट के मुंह में जीरा बताते हुए कहा कि, यह प्रतीत हो रहा है कि, "संसद की समित" ने पदों कि गड़ना के लिए दिए गए रेल नियमों की अनदेखी की है क्योंकि, रेलवे में तथा सरकार में कार्य, मशीनों व रेल उद्योग के आधारभूत संरचना के अनुरुप पद सृजन के व्यापक नियम बनाये गए हैं और रेलवे में आज से लगभग 45 वर्ष पूर्व तक उसी आधार पर रेल कर्मचारी के पद बनाये गए थे. पिछले 45 वर्षों से एक तरफ लगातर रेलगाड़ियों, रेल इंजनों, रेल की पटरियों/ पुलों, स्टेशनों व उनके प्लैटफॉर्म्स, रेल कोच फैक्ट्रियों तथा अधिकारियों के पदों आदि में लगातार बृद्धि हो रही है, वहीँ दूसरी तरफ तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों में लगातार कटौती की जा रही है. यहां तक कि, पिछले वर्ष से रिटायर्ड कर्मचारयों के पड पर भी भर्ती नहीं कि गयी है और प्रत्येक वर्ष पदों को सरेंडर करने व समाप्त करने का प्रचलन बदस्तूर जारी है. जिसका दुष्परिणाम यात्रियों को रेल दुर्घटनाओं, ट्रेनों के विलम्बित और कैंसिल होने का शिकार होना पद रहा है तथा देश को राजस्व के साथ- साथ धन-जान की भी क्षति का सामना करना पड रहा है.
रेल सेवक संघ ने संसद की समित से "रिक्त पद के आंकलन के आधार" को सार्वजानिक करने का आग्रह किया. जिससे देश की जनता जान सके कि, रेल में रिक्त पद के आंकलन का आधार क्या है ?-
यूनियन के महामंत्री - श्रीवास्तव ने कहा कि, संसद की समिति के सम्मानित सदस्यों को रिक्त पदों के लिए आधार, "रेल के अधोसंरचना" के अनुरूप अर्थात "रेल की पटरी की लम्बाई, रेलवे स्टेशनों की संख्या, प्लेटफॉर्मों की संख्या, रेलवे पुलों व समपार फाटकों की संख्या, इंजनों की संख्या, रेल कारखानों में मशीनों की संख्या, माल/सवारी/ मेल/एक्सप्रेस/शताब्दी आदि ट्रेनों व् डिब्बों की संख्या, रेल कोच/ इंजन, रेलवे अस्पताल/ हेल्थ यूनिट्स व रेल की रिसर्च व डिजाइन अनुसन्धान संगठन और अन्य कारखाने/ कंपनियों व निगमों द्वारा निर्माण व अन्य कार्य, रेल के संरक्षा,सुरक्षा, व समय पालन हेतु किये जाने वाले निरिक्षण/ रखरखाव तथा संचालन हेतु ओपेन लाइन, मंडलीय व प्रधान कार्यालयों में कार्यों के अनुरूप आवश्यक रिक्त पदों की गड़ना प्रैक्टिकली/ फिजिकली करनी चाहिए थी, तथा स्थान - स्थान पर रेल यूनियनों तथा रेल कर्मचारियों से भी खुली वार्ता करनी चाहिए थी. रेल सेवक संघ के महामंत्री ने संसद की समित से देश-हित / रेल-हित में सुरक्षित रेल यातायात मुहैया कराने के उद्देश्य से रेलवे में रिक्त पदों की गड़ना हेतु पुनर्विचार करने तथा रेल नियमों व उक्त मापदंडों के अनुरूप/ रेल के अधोसंरचना के अनुपात में लगभग 22 लाख रिक्त पद भरने की सिफारिस करने की मांग की है.
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