जंग -आज़ादी -ए - हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- इनायत उल्लाह मशरिक़ी
लहू बोलता भी है
आईये, जंग -आज़ादी -ए - हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- "इनायत उल्लाह मशरिक़ी" को जानते हैं____
जंग -आज़ादी -ए - हिन्द के एक और मुस्लिम किरदार- इनायत उल्लाह मशरिक़ी
इनायत उल्लाह साहब को ही अल्लामा मशरिक़ी के नाम से भी जाना जाता है। आपकी पैदाइश 25 अगस्त सन् 1888 को हुई। मशरिक़ी साहब एक मशहूर आला तालीमयाफ्ता आदमी थे। महज़ 25 साल की उम्र में स्कूल के प्रिसिंपल के मुक़ाम पर फायज़ हुए और उसके बाद भारत सरकार के तालीमी मुहक़में में डिप्टी-सेक्रेटरी के ओहदे पर फायज़ हुए। आप कुरानी तालीम के बहुत बड़े माहिर थे। आपका नाम नोबेल पुरस्कार के लिए भी चुना गया था। यही नहीं, आपको 32 साल की उम्र में अफ़गानिस्तान सरबराह बनाया। लेकिन आपने सभी इनामों और एजाज़ो को लौटा दिया और उन्होंने उसी वक़्त सरकारी नौकरी भी छोड़ दी। आपका मक़सद समाज मंे किसी भी मज़हब के दबे-कुचले लोगों के हालात मंे बेहतरी के लिए काम करना रहा है। अपने नेताओं के साथ आप कई बार जेल भी गये। आपने सहाफ़ी की हैसियत से भी जद्दोजहद की।
सरकारी नौकरी से इस्तीफा देकर आपने सन् 1930 में ख़ाकसार तहरीक की नींव डाली जिसे ख़ाकसार मूवमेंट भी कहते हैं। आपने भारत के बंटवारे की पुरज़ोर मुख़ालिफ़त की थी। सन् 1939 में आपको पहली बार जेल की सज़ा हुई थी, जब ज्वाइंट सूबे में ;अब उत्तर प्रदेश मेंद्ध कांग्रेस की सरकार थी। उस वक़्त आपने अपनी कोशिशों के ज़रिये शिया और सुन्नी फिरक़ों के बीच सुलह करायी थी। सन् 1940 में आप तब गिरफ़्तार कर लिये गये, जब पुलिस और ख़ाकसार मूवमेंट के कारकुनो के बीच ज़बरदस्त जंग हुई थी। इस जंग के बारे में तब के अख़बारों ने लिखा था कि यह बंदूकों और फावड़ें के बीच लड़ाई थी। सन् 1942 में 80 दिनों की भूख-हड़ताल के बाद आप तन्हाई जेल से रिहा किये गये।
20 जुलाई सन् 1943 मंे मोहम्मद अली जिन्ना के क़त्ल की साजिश में पकड़े गये रफीक़ साबिर को आप ही के तंज़ीम खाक़सार तहरीक का कारकुन माना गया था। मगर आपने कत्ल की इस कोशिश की मज़म्मत की थी और तहरीक से साबिर के जुड़ाव से इनकार कर दिया था। बाद में जस्टिस ब्लागडेन ने भी क़त्ल के इस प्रयास मंे ख़ाकसार तहरीक को किसी भी तरह से शामिल होने के 4 नवम्बर सन् 1943 के अपने ही फ़ैसले को ख़ारिज कर दिया था। आप दौराने जद्दोजहदे-आज़ादी 5 बार जेल गये। आपका इंतकाल 27 अगस्त, 1963 में हुआ।
__ (सैय्यद शहनवाज अहमद कादरी )
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