यूपी उपचुनाव में SP को समर्थन के बदले मायावती को रिटर्न गिफ्ट में मिलेगी राज्यसभा सीट!
वैसे मायावती बिहार की आरजेडी को राज्यसभा के लिए इंकार कर चुकी हैं लेकिन यूपी की सियासत में तेजी से बदलते घटनाक्रम में अब चर्चाएं तेज हैं कि बसपा का सपा को समर्थन कहीं न कहीं राज्यसभा चुनाव से होते हुए लोकसभा चुनाव तक पहुंच रहा है.
लखनऊ, 04 मार्च 2018: उत्तर प्रदेश में सियासत की नई बिसात बिछती दिख रही है. इसकी शुरुआत बहुजन समाज पार्टी ने कर दी है. उसने गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए अपने चिर प्रतिद्वंदी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी को समर्थन का ऐलान किया है. अब माना जा रहा है कि समाजवादी पार्टी बसपा को रिटर्न गिफ्ट देने की तैयारी कर रही है. सपा के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, पार्टी बसपा सुप्रीमो मायावती को राज्यसभा प्रत्याशी के तौर पर समर्थन देने का मन बना चुकी है.
मायावती वैसे तो बिहार की राष्ट्रीय जनता दल से मिले राज्यसभा भेजने के प्रस्ताव को पहले ही खारिज कर चुकी हैं, लेकिन यूपी की सियासत में तेजी से बदलते घटनाक्रम में अब सत्ता के गलियारे में चर्चाएं तेज़ हैं कि बसपा का सपा को समर्थन कहीं न कहीं राज्यसभा चुनाव से होते हुए लोकसभा चुनाव तक पहुंच रहा है.
दरअसल उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों को लेकर चुनाव होना है. मौजूदा विधानसभा का गणित देखें तो बीजेपी 8 सीट आसानी से जीतती दिख रही है. वहीं समाजवादी पार्टी एक सीट अपने नाम आसानी से कर लेगी, लेकिन आखिरी दसवीं सीट के लिए बीजेपी और विपक्ष में घमासान होने की पूरी उम्मीद है. ये एक सीट जीत से कहीं ज्यादा वर्चस्व कायम करने की लड़ाई का आधार मानी जा रही है.
गठबंधन होने की सूरत में राज्यसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी के तौर पर तीनों पार्टियों से सबसे बड़ा नाम अगर कोई आता है तो वह मायावती ही हैं. हालांकि बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की मानें तो मायावती राज्यसभा जाने से इनकार कर चुकी हैं. तेजस्वी ने बताया था कि राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने पर उन्होंने बसपा प्रमुख को फोन किया, क्योंकि उनके पिता राजद सुप्रीमो लालू यादव ने एक से अधिक बार घोषणा की थी कि राज्यसभा चुनाव में वह बहनजी को बिहार से अपनी पार्टी के समर्थन से भेजेंगे. लेकिन मायावती ने तेजस्वी यादव को साफ़ कहा कि जब तक सदन में भाजपा का बहुमत है, फ़िलहाल वह राज्यसभा की सदस्य नहीं बनना चाहतीं.
इस संबंध में समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन ने पिछले दिनों कहा कि पार्टी से एक सदस्य तो राज्यसभा जाना तय है. अब बचे विधायकों की बात करें तो हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार प्रयास में हैं कि सेक्युलर और समाजवादी विचारधारा के लोगों को साथ लाया जाए. ताकि 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को करारा जवाब दिया जा सके. सुनील सिंह कहते हैं कि इसी क्रम में राज्यसभा चुनावों के दौरान अगर इस समाजवादी विचारधारा के लोग आगे आते हैं तो समाजवादी पार्टी समर्थन देने में पीछे नहीं हटेगी.
उधर संभावनाओं को लेकर कांग्रेस भी इंतजार की मुद्रा में दिख रही है. यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि यूपी विधानसभा में हमारे पास 7 सीटें हैं. जाहिर है कि हम किसी भी सीट को निकाल पाने की स्थिति में नहीं हैं. लेकिन राजनीतिक संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं. पार्टी हित में जो भी जरूरी होगा पार्टी हाईकमान वही फैसला करेगा.
राज्यसभा चुनाव की गणित
- राज्यसभा सदस्य के निर्वाचन का अधिकार विधानसभा सदस्य को होता है. यूपी में 403 विधानसभा सीटें हैं और राज्यसभा के चुनाव 10 सीटों के लिए होना है.
- चुनाव का फॉर्मूला है, खाली सीटें में एक जोड़ से विधानसभा की सदस्य संख्या से भाग देना. निष्कर्ष में भी एक जोड़ने पर जो संख्या आती है. उतने ही वोट एक सदस्य को राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए चाहिए.
- यूपी की सदस्य संख्या 403 है. राज्यसभा की खाली सीट है 10. यानी 10 सीटों में 1 को जोड़ा तो हुए 11. अब 403 को 11 से भाग देते हैं तो आता है 36.63. इसमें 1 जोड़ा जाए तो आते हैं 37.63. यानी यूपी राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को औसतन 38 विधायकों का समर्थन चाहिए.
- इस लिहाज से आकड़े की बात करें को बीजेपी गठबंधन के खाते में 8, जबकि सपा के खाते में एक सीट जा रही है क्योंकि सपा के पास 47 विधायक हैं. वहीं, बची एक सीट के लिए विपक्ष का एकजुट होना जरूरी है क्योंकि सपा की बची 10, बसपा की 19 और कांग्रेस की 7 सीटें मिलाकर ही अपने संयुक्त उम्मीदवार को राज्यसभा भेज सकते हैं.
यूपी विधानसभा में सीटों की गणित
यूपी में विधानसभा की 403 सीटें
राज्यसभा के लिए 31 सीटें
बीजेपी - 312
सपा- 47
बसपा-19
अपना दल (सोने लाल) - 9
कांग्रेस- 7
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी - 4
राष्ट्रीय लोक दल - 1
निर्बल इंडिया शोषित हमारा आम दल - 1
निर्दलीय - 3
नाम निर्देशित - 1
राज्यसभा की एक सीट के लिए गणित
8 सीट पर जीत के बाद बीजेपी गठबंधन के पास बचेंगे- 21 विधायक
सपा की 1 सीट पर जीत के बाद बचेंगे- 9 विधायक
गठबंधन की स्थिति में बसपा के 19, सपा के 9, कांग्रेस के 7 मिलाकर होते हैं - 35 विधायक
अहम भूमिका: 3 निर्दलीय और लोकदल का एक विधायक विपक्ष के गठंधन के लिए अहम साबित हो सकता है.
(साभार: न्यूज़ 18)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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