मालेगांव: पुरोहित की बेल पर फैसला सुरक्षित
नई दिल्लीसुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को मालेगांव धमाके के आरोपी कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले, पुरोहित की ओर से मशहूर वकील हरीश साल्वे ने पक्ष रखा। बता दें कि नैशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी पुरोहित को बेल दिए जाने का विरोध कर रही है। एजेंसी का कहना है कि पुरोहित के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट का फैसला बरकरार रखा जाए। साल्वे ने कहा कि न्याय के हित में पुरोहित को बेल दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब इस केस में एक अन्य आरोपी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बेल मिल सकती है तो पुरोहित को क्यों नहीं? साल्वे ने एनआईए पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया। साथ ही गवाहों के बयानों पर भी सवाल उठाए। बता दें कि महाराष्ट्र के नासिक जिले में सांप्रदायिक दृष्टि से संवेदनशील मालेगांव में 29 सितंबर 2008 को हुए बम विस्फोट में 7 लोग मारे गए थे। अभी तक क्या हुआजस्टिस आरके अग्रवाल और जस्टिस मोहन एम शांतानागौदर की बेंच ने पुरोहित की याचिका पर सुनवाई की। इससे पहले, 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा था कि वह 17 अगस्त को पुरोहित की जमानत याचिका और प्रज्ञा की जमानत खारिज करने पर विचार करेगी। कोर्ट ने कहा था कि इन मुद्दों पर विस्तार से विचार करने की जरूरत है।इससे पहले, बॉम्बे हाई कोर्ट ने पुरोहित की जमानत याचिका ठुकरा दी थी। पुरोहित बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए बेल की दरख्वास्त लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। वहीं, धमाके के पीड़ितों में से एक के पिता निसार अहमद हाजी सैयद बिलाल ने साध्वी प्रज्ञा को जमानत देने के बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। उनका आरोप है कि साध्वी प्रज्ञा 'ताकतवर शख्स' हैं और वह इस मामले में गवाहों को प्रभावित कर सकती हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से साध्वी को जमानत देने के हाई कोर्ट के 25 अप्रैल के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।एनआईए ने पुरोहित के मामले में दाखिल जवाब में कहा था कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जबकि ठाकुर के खिलाफ कोई सबूत नहीं है। शीर्ष अदालत ने 5 मई को पुरोहित की जमानत याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा था। Let's block ads! (Why?)