
इंतजाम दुरुस्त लेकिन सरकारी अलाव ठंडे हैं...!
लखनऊ | अभी तक तो ठंड का मजा लिया जा रहा था लेकिन कुछ दिनों से ठंड की ठिठुरन बढ़ गई है और जानलेवा हो गयी है| आलम यह है कि शाम होते ही लोगबाग घरों से निकलना कम कर देते हैं। सोचिए उन लोगों के लिए.... जो ऐसी कड़कड़ाती ठंड में रात सड़कों पर गुजारते हैं। हालांकि सरकार ने रैन बसेरे बनवाये हुए हैं लेकिन उनकी संख्या में इजाफा नहीं हुआ है न ही सुविधाओं में और गांवों से रोजी के लिए लोगों का पलायन शहरों की ओर बढ़ रहा है। दूसरी बात पुराने रैन बसेरों पर जिन लोगों का पहले से ही कब्जा था वो अभी भी अपना हक़ बदस्तूर जमाये हुए हैं। बता दें कि कल रात जब जियामऊ स्थित रैनबसेरे को देखने मुख्यमंत्री पहुंचे तो लोगों को जमीन पर सोते देख कर अधिकारीयों से जवाब तलब किया | साथ चल रहे अफसरों ने बताया अभी सामान आ रहा है | राजधानी लखनऊ में 23 व प्रदेश में 925 रैनबसेरे बनाये गये हैं | शहर की ठंडक को कम करने के लिए सरकार पहले जगह जगह अलाव जलाने का इंतजामात करती थी, लेकिन अब ये इंतजाम भी सिमट कर रह गया है। कुछ ऐसा ही हाल सरकारी प्राइमरी स्कूलों का है, जहां ठंड मे बच्चों को ऊनी कपड़े बांटे जाते थे, लेकिन अभी तक टेंडर प्रक्रिया में ही उलझे हैं अफसरान | खबरें आ रही हैं कि कीमतों और बजट में तालमेल न होने की वजह से ये मामला भी अटका हुआ है। स्वयंसेवी संस्थाएं रैनबसेरों के लिए अपने स्तर पर काम कर रही है, लेकिन सरकार का इस ओर रूख जरा सुस्त दिखाई दे रहा है। ठिठुरती ठंड में और ज्यादा रैन बसेरों और अलावों की जरूरत महसूस हो रही है...ऐसी ही ठंड में बहुत से गरीब सड़कों पर ही मौत के हवाले हो जाते हैं, अब तक की खबरों के मुताबिक प्रदेश में ठंढ से तकरीबन 50 मौतें हो चुकी हैं । हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अलाव न जलने पर सरकार को घेरा भी था लेकिन सरकार इस ओर ध्यान देने से परहेज कर रही है ? वहीं मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने 2 रैनबसेरों को देखने के बाद संतोष जताया |
राजधानी के किसी भी चौराहे या किसी सार्वजनिक स्थल पर अलाव अभी तक नहीं जलते दिखे | मजदूर,रिक्शा चालक जैसे लोग पुराने टायर , कागज,कचरा जलाकर अपनी ठंढ दूर भगाते जरूर दिखाई देते हैं | दूसरी ओर ठंढ का प्रकोप लगातार जारी है|
(साभार:- प्रियंका न्यूज़)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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