अमेरिका के H-1B वीजा पॉलिसी में बदलाव के प्रपोजल से 75 हजार भारतीयों की नौकरी खतरे में
नई दिल्ली.ट्रम्प एडमिस्ट्रेशन के H-1B वीजा पॉलिसी में बदलाव के प्रपोजल से अमेरिका में 75 हजार भारतीयों की नौकरी खतरे में आ सकती है। सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री की संस्था नैस्कॉम ने इसे लेकर चिंता जताई है। आने वाले दिनों में उसकी प्रस्तावित बदलावों पर एडमिस्ट्रेशन से बातचीत हो सकती है। दूसरी ओर, अमेरिकन युवाओं को प्रियॉरटी देने के लिए अमेरिकी एडमिनिस्ट्रेशन 'बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन' की पॉलिसी पर काम कर रहा है।
नैस्कॉम ने प्रपोजल पर जताई चिंता
- इसे लेकर अमेरिकी सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री की संस्था नैस्कॉम ने वीजा नियमों में बदलाव और नए नियमों को लेकर अमेरिकी एडमिनिस्ट्रेशन के सामने चिंता जताई है। आने वाले दिनों प्रस्तावित बदलावों पर बातचीत हो सकती है।
- दरअसल, अमेरिकी एडमिनिस्ट्रेशन ने यह कदम अपने 'Protect and Grow American Jobs बिल के तहत उठाया है। इस बिल में H-1B वीजा के मिस यूज रोकने के लिए बदलाव प्रस्तावित हैं। इसके तहत, न्यूनतम सेलरी और टेलंट के मूवमेंट को लेकर पाबंदियां लगाए जाने की बात कही गई है।
क्यों बदलने पड़ रहे हैं H-1B वीजा पर नियम?
- अमेरिका में बढ़ती बेरोजगारी पर लगाम लगाने के लिए H-1B के रूल्स को सख्त बनाने की बात कही गई है। प्रेसिडेंट इलेक्शन में भी डोनॉल्ड ट्रंप ने यह मुददा उठाया था। उन्होंने अमेरिकी युवाओं को नौकरी में प्राथमिकता देने की बात कही थी। इसके बाद ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन 'बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन' पॉलिसी अपना रहा है।
- माना जाता है कि कई अमेरिकी कंपनियां दूसरे देशों से कम सैलरी पर वर्कर्स को हायर करती हैं। इसमें भारतीय सबसे आगे हैं। इससे अमेरिकी युवाओं को नौकरी मिलने के मौके कम हो जाते हैं। चुनाव के बाद एडमिनिस्ट्रेशन ने एक पॉलिसी मेमोरेंडम जारी किया था। इसमें कहा गया था कि कम्प्यूटर प्रोग्रामर्स H-1B वीजा के लिए एलिजिबल नहीं होंगे।
भारतीयों पर क्यों असर पड़ेगा?
- अमेरिका में सबसे ज्यादा H-1B वीजा भारतीयों के पास हैं। अप्रैल, 2017 में इससे जुड़ा आंकड़ा जारी किया गया था। यूएस सिटिजनशिप एंड इमीग्रेशन सर्विस (USCIS) की रिपोर्ट में कहा गया था कि 2007 से जून 2017 तक USCIS को 34 लाख H-1B वीजा एप्लीकेशन मिलीं। इनमें भारत से 21 लाख एप्लीकेशन थीं।
- इसी दौरान अमेरिका ने 26 लाख लोगों को को H-1B वीजा दिया। हालांकि, रिपोर्ट में ये साफ नहीं हो पाया कि अमेरिका ने किस देश के कितने लोगों को वीजा दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, H-1B वीजा पाने वालों में 23 लाख की उम्र 25 से 34 साल के बीच है। इनमें 20 लाख आईटी सेक्टर की नौकरियों से जुड़े हुए हैं।
- दूसरी ओर, अप्रैल 2017 में USCIS ने 1 लाख 99 हजार H-1B पिटीशन रिसीव कीं। अमेरिका ने 2015 में 1 लाख 72 हजार 748 वीजा जारी किए, यानी 103% ज्यादा।
भारतीयों का H-1B एक्सटेंड नहीं होगा
- डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्यॉरिटी (डीएचएस) का ये प्रपोजल उन विदेशी वर्कर्स को अपना H-1B वीजा रखने से रोक सकता है जिनके ग्रीन कार्ड एप्लीकेशन अटके हुए हैं। इसमें बड़ी संख्या भारतीय पेशेवरों की है।
- ट्रम्प सरकार के फैसले से अमेरिका में हजारों भारतीयों का H-1B एक्सटेंड नहीं होगा क्योंकि वहां स्थायी निवास की इजाजत के लिए उनके ग्रीन कार्ड एप्लीकेशन फिलहाल अटके हुए हैं। इस नियम के लागू होने पर करीब 75 हजार नौकरीपेशा लोगों पर असर पड़ेगा। भारत के अलावा दूसरों देशों के युवाओं को भी अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है।
क्या है H-1B वीजा?
- H-1B वीजा एक नॉन-इमिग्रेंट वीजा है। इसके तहत अमेरिकी कंपनियां विदेशी थ्योरिटिकल या टेक्निकल एक्सपर्ट्स को अपने यहां रख सकती हैं। इस वीजा के तहत आईटी कंपनियां हर साल हजारों इम्प्लॉइज की भर्ती करती हैं।
- यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) जनरल कैटेगरी में 65 हजार फॉरेन इम्प्लॉइज और हायर एजुकेशन (मास्टर्स डिग्री या उससे ज्यादा) के लिए 20 हजार स्टूडेंट्स को H-1B वीजा जारी करता है।
बढ़ चुकी है ये वीजा पाने की फीस
- अमेरिका आने वाले लोगों की संख्या कम करने के लिए ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन पहले ही वीजा को पाने की फीस बढ़ा चुका है। जनवरी 2016 में एच-1बी और एल-1 वीजा फीस बढ़ा चुकी है। एच-1बी के लिए यह 2000 डॉलर से बढ़ाकर 6000 डॉलर और एल-1 के लिए 4500 डॉलर किया गया है।
(साभार:-भास्कर)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
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