सरकारी स्टॉक की बिक्री (पुनर्निर्गम) के लिए नीलामी
> भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप ये स्टॉक ‘व्हेन इश्यूड’ ट्रेडिंग के लिए पात्र माने जाएंगे। इसके लिए दिनांक 16 नवंबर, 2006 को जारी परिपत्र संख्या आरबीआई/2006-07/178 देखें....
केन्द्र सरकार ने निम्नलिखित की बिक्री (पुनर्निर्गम) करने की घोषणा की है :-
- मूल्य आधारित नीलामी के जरिए 5,000 करोड़ रुपये (सांकेतिक) की अधिसूचित राशि के लिए ‘6.84 प्रतिशत ब्याज वाले सरकारी स्टॉक 2022’
- मूल्य आधारित नीलामी के जरिए 9,000 करोड़ रुपये (सांकेतिक) की अधिसूचित राशि के लिए ‘सरकारी स्टॉक 10 वर्षों के लिए।
- मूल्य आधारित नीलामी के जरिए 2,000 करोड़ रुपये (सांकेतिक) की अधिसूचित राशि के लिए ‘73 प्रतिशत ब्याज वाले सरकारी स्टॉक 2034’
- मूल्य आधारित नीलामी के जरिए 2,000 करोड़ रुपये (सांकेतिक) की अधिसूचित राशि के लिए ‘7.72 प्रतिशत ब्याज वाले सरकारी स्टॉक 2055’
कुल अधिसूचित राशि के लिए 18,000 करोड़ रुपये की सीमा को देखते हुए भारत सरकार के पास उपर्युक्त किसी भी स्टॉक के सापेक्ष 1,000 करोड़ रुपये तक का अतिरिक्त अभिदान अपने पास रखने का विकल्प होगा। भारतीय रिजर्व बैंक के मुम्बई कार्यालय द्वारा ये नीलामियां 05 जनवरी, 2018 (शुक्रवार) को आयोजित की जाएंगी।
सरकारी प्रतिभूतियों की नीलामी से जुड़ी गैर-प्रतिस्पर्धी बोली सुविधा की योजना के अनुसार स्टॉक की बिक्री की अधिसूचित राशि के 5 प्रतिशत तक का आवंटन पात्र व्यक्तियों एवं संस्थानों को किया जाएगा।
नीलामी के लिए प्रतिस्पर्धी एवं गैर-प्रतिस्पर्धी दोनों ही बोलियां 05 जनवरी, 2018 (शुक्रवार) को भारतीय रिजर्व बैंक के कोर बैंकिंग सोल्यूशन (ई-कुबेर) सिस्टम पर इलेक्ट्रॉनिक प्रारूप (फॉर्मेट) में पेश की जानी चाहिए। गैर-प्रतिस्पर्धी बोलियां प्रात: 10.30 बजे से लेकर प्रात: 11.30 बजे तक और प्रतिस्पर्धी बोलियां प्रात: 10.30 बजे से लेकर दोपहर 12.00 बजे तक पेश की जानी चाहिए।
इन नीलामियों के नतीजों की घोषणा 05 जनवरी, 2018 (शुक्रवार) 2017 को ही कर दी जायेगी और सफल बोली लगाने वालों द्वारा भुगतान 08 जनवरी, 2018 (सोमवार) को किया जायेगा।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए दिशा-निर्देशों के अनुरूप ये स्टॉक ‘व्हेन इश्यूड’ ट्रेडिंग के लिए पात्र माने जाएंगे। इसके लिए दिनांक 16 नवंबर, 2006 को जारी परिपत्र संख्या आरबीआई/2006-07/178 देखें, जिसमें समय-समय पर संशोधन होते रहे हैं।
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