प्रदूषण नियंत्रण का उड रहा मखौल, खुले में डाला जा रहा बायोबेस्ट
अंबेडकरनगर। शहर से सटे मार्गो पर मेडिकल वायोबेस्ट की खुले में डाला जा रहा है। ऐसे में कूडा करकट उठाने वालों व आसपास आवारा घूमते पशुओं को खतरा है। सडक किनारे कई जगह पर इस तरह मे मेडिकल बायोबेस्ट पडा रहता है। प्रशासनिक आदेशों की माने तो मेडिकल बायोबेस्ट को खुले में नहीं डाला जा सकता है। अगर कोई ऐसा करता भी है तो उसके खिलाफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। ऐसे में आस पास निवासरत लोगों को संक्रमण होने की आंशका से इंकार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि मेडिकल बेस्ट में इजेक्शन सीरीज खून से लपटे काटन में स्वास्थ्य को नुकसान देने वाले रसायन भी होते है। ऐसे में इस बायोबेस्ट के सम्पर्क में आने वालों को भारी परेशानी का सामना करना पड सकता है।
नहीं होती कार्रवाही
बायोबेस्ट कहा कहा है, कौन डाल के जाता है व कब डाल कर जाता है। इसकी किसी को खबर नहीं है। ऐसे में बायोबेस्ट डालने वाले रोजाना इन तमाम जगहों पर उडेल कर चले जाते है। ऐसे में इसके सम्पर्क में आने वाले लोगों व पशुओं के लिए नुकसान दायक साबित हो रहे है। बेजुवान मारते रहते है मुंह
इन सभी मार्गो पर नगर पालिका की ओर से कचरा भी डाला जाता है। ऐसे में बेजुवान पशु दिन भर कचरे में मुंह मारते नजर आते है। ऐसे में पशु बायोबेस्ट के भी सम्पर्क में आते है। जिससे पशुओं में संक्रमण व बीमारियों फैलाने की आशंका बनी रहती है।
ये है बायोबेस्ट निस्तारण के नियम
अस्पताल मैनेजर्मेंट को बायोबेस्ट की तीन हिस्सों में बांटना होता है। इसमें ब्लड एवं मानव अंग जैसी चीजों को लाल डिब्बे में काटन सीरिज व दवाईयों को पीले डिब्बे में और मरीजों के खाने की बची चीजों को हरे डिब्बे में डाला जाता है। इन सभी डिब्बों को पालीथीन बैग में आधा भरे जाने के बाद बंद कर जहां संक्रमण की संभावना न हो उस जगह सुरक्षित रखा जाता है। बाद में उसे गड्ढा खोद कर डाल दिया जाता है। या फिर बायोबेस्ट को साफ जगह डाल कर जलाया भी जाता है।
-घनश्याम भारतीय
(साभार:- प्रियंका न्यूज़)
संपादक- स्वतंत्र भारत न्यूज़
swatantrabharatnews.com