
लाइव 'ला': सुप्रीम कोर्ट ने बकरीद पर महाराष्ट्र के विशालगढ़ किले में दरगाह पर पशु बलि के खिलाफ याचिका पर तत्काल सुनवाई से किया इनकार
नई दिल्ली (लाइव 'ला'): सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार (6 जून) को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा पारित उस आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार किया, जिसमें कल बकरीद के अवसर पर कोल्हापुर के विशालगढ़ किले में दरगाह में पशु बलि की अनुमति दी गई थी।
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि विशालगढ़ किला "संरक्षित स्मारक" है, उन्होंने जस्टिस संजय करोल और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की खंडपीठ के समक्ष 3 जून को पारित हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर याचिका का उल्लेख किया, जिसमें कल यानी शनिवार को ईद होने के कारण आज ही तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया गया। वकील ने कहा कि हाई कोर्ट ने 8 जून से 12 जून तक उरुस के लिए पशु बलि की भी अनुमति दी है।
जस्टिस करोल ने कहा,
"संरक्षित स्मारकों में बहुत सारी धार्मिक गतिविधियां चल रही हैं।"
वकील ने प्रस्तुत किया कि महाराष्ट्र राज्य द्वारा इसे संरक्षित स्मारक के रूप में अधिसूचित करने वाली विशिष्ट अधिसूचना है।
वकील ने माना कि पिछले साल भी हाईकोर्ट ने इसी तरह का आदेश पारित किया था, जिसमें बंद परिसर में पशु वध की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा कि इस साल भी इसी तरह की शर्त लगाई गई है।
जस्टिस करोल ने सवाल किया कि मामले की इतनी जल्दी क्या है, खासकर तब जब हाईकोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिए हैं।
जस्टिस करोल ने कहा,
"यह पिछले साल की तरह ही होगा। हमें यकीन है कि हाईकोर्ट ने इस पर विचार किया होगा।"
जस्टिस करोल ने कहा,
"मैं आपको बता रहा हूं कि चाहे कोई भी धर्म या आस्था हो, संरक्षित स्मारक में बहुत सारी गतिविधियां चल रही हैं।"
इसके बाद वकील ने कहा कि पिछले साल कानून-व्यवस्था की बहुत बड़ी समस्या है।
जस्टिस करोल ने बताया कि त्रिपुरा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर उन्होंने पशु बलि पर प्रतिबंध लगाने का आदेश पारित किया था।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आदेश को संशोधित कर बंद परिसर में बलि देने की अनुमति दी।
करोल ने कहा,
"मिस्टर, मैं आपको बता दूं। त्रिपुरा में बैठकर मैंने वहां पशु वध पर प्रतिबंध लगाया था। इस न्यायालय ने मामले को संशोधित करते हुए कहा कि यह बंद परिसर में किया जाएगा।"
वकील ने कम से कम अगले सप्ताह तक सुनवाई की मांग की।
जस्टिस करोल ने कहा,
"इसमें इतनी जल्दी क्या है? वैसे भी यह मामला निरर्थक ही होगा।"
बता दें, 3 जून को जस्टिस डॉ. नीला गोखले और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने उल्लेख किया कि 14 जून, 2024 को एक विस्तृत आदेश में दरगाह के पास 'एक बंद और निजी क्षेत्र' में पशु और पक्षियों की बलि देने की अनुमति दी गई थी, न कि किसी 'खुले या सार्वजनिक स्थान' पर।
इसलिए जजों ने कहा कि पिछले वर्ष का आदेश इस वर्ष भी लागू रहेगा, साथ ही इसमें लगाई गई शर्तें भी लागू रहेंगी।
खंडपीठ ने आदेश में कहा था,
"इस तथ्य पर विचार करते हुए कि समन्वय पीठ ने 14 जून, 2024 को आदेश पारित किया, पहले ही इस मुद्दे से निपट लिया और प्रार्थना ए (पशुओं की बलि) की अनुमति दी है, यह आगामी 7 जून को बकरीद के त्योहार और 8 जून से 12 जून तक उर्स के दौरान जारी रहेगा। यह कहने की जरूरत नहीं है कि 14 जून के आदेश में जो शर्तें लगाई गई हैं, वही वर्तमान अंतरिम आवेदन पर भी लागू होंगी।"
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(समाचार & फोटो साभार: लाइव 'ला')
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