
सरकार ने अग्रिम अधिकार धारकों, विशेष आर्थिक क्षेत्र और निर्यातोन्मुखी इकाइयों से निर्यातित सामग्रियों पर कर और शुल्क में छूट योजना का लाभ बहाल किया: वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
*1 जून 2025 से विशेष निर्यात श्रेणियों के लिए आरओडीटीईपी योजना बहाल की गई*
नई दिल्ली (PIB): भारत सरकार ने अग्रिम अधिकार (एए) धारकों, निर्यातोन्मुख इकाइयों (ईओयू) और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में काम करने वाली इकाइयों से निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट (आरओडीटीईपी) योजना के अंतर्गत लाभ बहाल करने की घोषणा की है। यह लाभ 1 जून 2025 से किए जाने वाले सभी उन निर्यातों पर लागू होंगे जो इसके लिए पात्र हैं।
वैश्विक बाजारों में निर्यात में भारत की प्रतिस्पर्धा की क्षमता को बढ़ावा देने के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों के भाग के रूप में यह निर्णय लिया गया है। इससे पहले, इन श्रेणियों के लिए आरओडीटीईपी के अंतर्गत लाभ की सुविधा 5 फरवरी 2025 तक उपलब्ध थी। अब उन्हें पुनः बहाल किए जाने से सभी क्षेत्रों के निर्यातकों के लिए समान अवसर उपलब्ध होने की उम्मीद है।
1 जनवरी 2021 से लागू आरओडीटीईपी योजना निर्यातकों को उन अंतर्निहित शुल्कों, करों और शुल्कों की प्रतिपूर्ति करने के लिए बनाई गई है, जिन्हें किसी अन्य मौजूदा योजना के तहत वापस नहीं किया जाता है। यह योजना विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मानदंडों के अनुरूप है और इसे डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से व्यापक स्तर पर शुरू से अंत तक कार्यान्वित किया जाता है ताकि इसमें पारदर्शिता और कार्यक्षमता सुनिश्चित की जा सके।
आरओडीटीईपी योजना के अंतर्गत 31 मार्च 2025 तक कुल 57,976.78 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया गया है, जो भारत के व्यापारिक निर्यात को समर्थन देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना के अंतर्गत 18,233 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह सहायता में घरेलू टैरिफ क्षेत्र (डीटीए) निर्यात के लिए मानक प्रणाली के अनुसार 10,780 एचएस लाइनों और एए/ईओयू/एसईजेड निर्यात के लिए 10,795 एचएस लाइनों को शामिल किया जाएगा, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों को व्यापक स्तर पर लाभ मिले।
विशेष निर्यात श्रेणियों के लिए आरओडीटीईपी के लाभों की बहाली अनुकूल, प्रतिस्पर्धी और निर्यात के लिए अनुपालन के योग्य उचित तंत्र का निर्माण करने की सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है जिससे भारत की दीर्घकालिक व्यापार में प्रगति को बढ़ावा मिलेगा।
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