बाबा वीरेंद्र देव: 20 सालों से पड़ रहे हैं छापे मगर नतीजा कुछ भी नहीं
बरामद की गई लड़कियां पुलिस को अपना नाम पता तक नहीं बताती हैं...
क्या है वीरेंद्र दीक्षित का इतिहास ...
डुप्लीकेट विश्विद्यालय...
बड़े-बड़े लोग हैं बाबा के फैन...
पिछले कुछ हफ्तों से आध्यात्मिक ईश्वरीय विश्वविद्यालय चला रहे वीरेंद्र दीक्षित खबरों में है. कथित बाबा वीरेंद्र पर कई महिलाओं से बलात्कार और यौन शोषण के आरोप लगे. कुछ समय पहले सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक स्थानीय महिला आरोप लगा रही है कि उसकी लड़की घर से 8 लाख रुपए लेकर आश्रम भाग आई. इतना ही नहीं जब उस महिला ने अपनी बेटी से मिलने की कोशिश की तो उसे मिलने नहीं दिया गया.
राष्ट्रीय स्तर पर भले ही वीरेंद्र देव पहली बार चर्चा में आया हो मगर बाबा के आश्रम के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी रखने वाले लोग जानते हैं कि इस तरह के विवाद वीरेंद्र दीक्षित और उनके ‘विश्वविद्यालय’ के लिए कोई नई बात नहीं है.
आज से लगभग दो दशक पहले वीरेंद्र देव के फर्रुखाबाद आश्रम को लेकर पहला बड़ा विवाद हुआ था. बाबा के आश्रम में रहने वाली लड़कियां अपने मां-बाप पर ही बुरी नीयत का आरोप लगा रही थीं. बाबा की शरण में रहने की बात कर रही थीं. ये घटना अखबारों के साथ-साथ शहर भर में लोगों की चर्चा में रही. इसके अलावा फर्रुखाबाद के सिकत्तरबाग मोहल्ले में बाबा का आश्रम बनना भी चर्चा में रहा. बड़े-बड़े इंजीनियर, अफसर आध्यात्म की तलाश में बाबा के आश्रम में किसी दिहाड़ी मजदूर की तरह काम करते देखे जाते थे.
पड़ोस में रहने वाले लोग बताते हैं कि आश्रम से लड़कियों के चीखने की आवाज़ें भी कभी-कभी सुनाई देती हैं. हर साल 2-4 ऐसे मौके आ ही जाते जब पुलिस की टीम किसी लड़की की बरामदगी के लिए आश्रम जाती और खाली हाथ वापस लौट आती.
क्या है वीरेंद्र दीक्षित का इतिहास
वीरेंद्र देव दीक्षित के बारे में कहा जाता है कि उसने अहमदाबाद के संस्कृत विश्वविद्यालय में 'सृष्टि का आदिपुरुष कौन' में पीएचडी की और इसके बाद खुद को भगवान शिव का अवतार कहना शुरू किया. कुछ साल कंपिल के स्कूल में पढ़ाने के बाद अपने घर में आश्रम खोला. स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि करोड़ों की लागत से किसी किले की तरह बने 40 से ज्यादा कमरों के आश्रम का टैक्स महज 88 रुपए सालाना है. 1998 में वीरेंद्र देव पर बिजली चोरी का मुकदमा भी हो चुका है.
डुप्लीकेट विश्विद्यालय
वीरेंद्र देव के आध्यात्मिक विश्विद्यालय से जुड़ा सबसे बड़ा विवाद इसका डुप्लीकेट होना है. प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की मान्यताओं और तमाम बातों में वीरेंद्र देव की संस्था हूबहू मिलती है. मसलन, दोनों का नाम देखें. प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्विद्यालय और आध्यात्मिक विश्विद्यालय. इसके अलावा दोनों में रहने वाली महिलाएं ड्रेस के तौर पर सफेद साड़ी में नज़र आती हैं.
ब्रह्माकुमारी के संस्थापक लेखराज कृपलानी को ब्रह्मा बाबा कहा जाता है. उनके शिष्य बाबा को प्रजापिता ब्रह्मा मानते हैं. वीरेंद्र देव ने खुद को शिव के अवतार के तौर पर प्रचारित किया. उनके मानने वाले उन्हें परमपिता शिव कहते हैं. ब्रह्मकुमारी और वीरेंद्र दीक्षित की संस्थाओं की पहचान आपस में इतनी मिलती-जुलती है कि ज्यादातर लोग इसमें धोखा खाते हैं. ब्रह्मकुमारी ने इस मामले में वीरेंद्र दीक्षित पर मुकदमा भी किया था मगर सफल नहीं हुआ.
हालांकि ब्रह्मकुमारी विश्विद्यालय से जुड़े विवाद भी कम नहीं हैं. लंबे समय तक लोग उनपर अनैतिक गतिविधियों, लड़कियों को बहलाकर संस्था में शामिल करने जैसे आरोप लगाते रहे हैं. ब्रह्मकुमारी से जुड़ा बड़ा विवाद पूर्वराष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के समय हुआ था. पाटिल ने एक बार राष्ट्रपति रहते हुए कहा था कि उन्होंने मर चुके ब्रम्हा बाबा लेखराज से बात की थी.
लंबे समय से आरोप
वीरेंद्र देव के आश्रम पर कम से कम दो दशकों से ऐसे ही छापे पड़ते रहे हैं. 1998 में उनके फर्रुखाबाद आश्रम में ठीक इसी तरह कोलकाता से आए एक लड़की के परिवार वालों ने हंगामा किया था. लड़की के मां-बाप उसे वापस ले जाने आए थे. मगर खुद लड़की ने परिवार के साथ जाने से मना कर दिया. बाबा के आश्रम पर इसके बाद रह-रहकर ऐसे आरोप लगते रहे. धीरे-धीरे वीरेंद्र दीक्षित के फर्रुखाबाद आश्रम की गतिविधियां कम होती गईं और कंपिल में बढ़ गईं. इन सारे छापों के बाद भी बाबा पर कोई कार्यवाई नहीं हुई.
इस बार दिल्ली के आश्रम से जो लड़कियां बरामद हुई हैं उनमें से 10 बांदा की है. इस सिलसिले में बांदा आश्रम पर भी छापा मारा गया. बांदा आश्रम के छापे में सारी लड़कियों ने कहा कि वो अपनी मर्जी से वहां रुकी हैं. फर्रुखाबाद आश्रम में तमाम रिपोर्ट के बावजूद पुलिस लड़कियों की मेडिकल जांच भी नहीं करवा सकी. यहां तक कि लड़कियों ने अपने घर के पते भी पुलिस को नहीं बताए.
बड़े-बड़े लोग हैं बाबा के फैन
बाबा के मुरीदों में कई बड़े अफसर और इंजीनियर शामिल हैं. कई लोगों ने बाबा को अपनी संपत्ति दान में दे दी. स्थानीय लोग आश्रम में बड़े-बड़े लोगों के लिए लड़कियों की ट्रैफिकिंग करवाने के आरोप लगाते हैं. पिछले दो-तीन दशकों से ये बातें और स्कैंडल चलते रहे आ रहे हैं. मगर बाबा के पक्ष में लड़कियों के खड़े रहने और तमाम ‘अनजाने’ कारणों से आजतक वीरेंद्र दीक्षित पर कोई आंच नहीं आ सकी है.
साभार: फर्स्ट पोस्ट
संपादक: स्वतंत्र भारत न्यूज़
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