गुजरात का गौरव बचाने निकले 10 लाख लोग
शेरों को बचाने की मुहिमराजकोटपूरी दुनिया में केवल गुजरात में पाए जाने वाले एशियाई शेरों को बचाने के लिए गुरुवार को सबसे बड़े जागरुकता अभियानों में से एक सौराष्ट्र में देखने को मिला। 4 जिलों के गांवों से लगभग 10 लाख लोगों ने मार्च कर अपनी आखिरी सांस तक एशियाई शेरों का बचाने की कसम खाई। यह आयोजन एशिया बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में अपनी जगह बना चुका है और अब वन विभाग की निगाहें इसे गिनीज बुक में जगह दिलाने पर हैं। विश्व शेर दिवस के मौके पर जूनागढ़, अमरेली, भावनगर और गिर-सोमनाथ जिलों के लगभग 5000 स्कूलों के छात्र अपने-अपने गांवों से निकले और न सिर्फ शेरों को बचाने की बल्कि उनके और गिर के महत्व के बारे में लोगों को जागरुक करने की भी कसम खाई। खाई शेरों को बचाने की कसममार्च में स्कूली बच्चों के साथ-साथ दूसरे लोग भी शामिल हुए। सबसे ज्यादा संख्या में एक ही समय और अलग-अलग जगहों पर शेरों को बचाने की कसम लिए जाने के कारण अधिकारी इसे गिनीज बुक तक पहुंचाना चाहते हैं। एशिया बुक ऑफ रेकॉर्ड्स में बनाई जगहगुजरात के गिर में पाए जाने वाले एशियाई शेर एक छोटी आबादी में रहते हैं। इनकी कम आबादी के चलते इन्हें लुप्तप्राय प्रजाति माना जाता है। हालांकि, 2010 से इनकी संख्या में इजाफा हुआ है। WWF-इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक भारत में अब इनकी संख्या 523 पहुंच चुकी है।Let's block ads! (Why?)