
लाइव 'ला'': सावरकर मानहानि मामले को 'समन ट्रायल' में बदलने की राहुल गांधी की याचिका को मिली मंजूरी
नई दिल्ली (लाइव 'ला'): दिनांक 07 अप्रैल 2025 को लाइव 'ला' की वेब साइट पर "सावरकर मानहानि मामले को 'समन ट्रायल' में बदलने की राहुल गांधी की याचिका को मिली मंजूरी" शीर्षक से प्रकाशित समाचार में बताया गया है कि, पुणे के स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की उस याचिका को स्वीकार कर लिया, जिसमें उन्होंने दिवंगत दक्षिणपंथी नेता विनायक सावरकर के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक बयानों को लेकर उनके खिलाफ लंबित 'समन्स ट्रायल' को 'समन्स ट्रायल' में बदलने की मांग की थी, क्योंकि उनके बयान ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित हैं।
स्पेशल जज अमोल शिंदे ने कहा कि गांधी या सावरकर के पोते सत्यकी सावरकर के खिलाफ शिकायतकर्ता के प्रति कोई पक्षपात नहीं किया जाएगा।
जज ने आदेश में कहा,
"वर्तमान मामले में अभियुक्त ने तथ्यों और कानून के ऐसे सवाल उठाए हैं, जो जटिल प्रकृति के हैं। अभियुक्त ने कुछ ऐसे मुद्दे भी उठाए हैं, जिनका निर्धारण ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर किया जाएगा। इसलिए मेरे विचार से इस मामले को समरी ट्रायल के रूप में चलाना अवांछनीय है, क्योंकि समरी ट्रायल में विस्तृत साक्ष्य और क्रॉस एक्जामिनेशन नहीं ली जाती। इस मामले में अभियुक्त को विस्तृत साक्ष्य प्रस्तुत करने होंगे और शिकायतकर्ता के गवाहों से गहनता से क्रॉस एक्जामिनेशन करनी होगी।"
जज ने आगे कहा कि इस मामले में अपराध भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत आता है, जिसमें जुर्माने के साथ दो साल की साधारण कारावास का प्रावधान है। इसलिए जज ने माना कि यह मामला प्रथम दृष्टया दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में दिए गए वर्गीकरण के मद्देनजर समन मामले की श्रेणी में आता है।
जज ने कहा,
"CrPC की धारा 260(2) के अनुसार, जो न्यायालय को यह सुविधा प्रदान करती है कि यदि सुनवाई के दौरान भी ऐसा लगता है कि संक्षेप में सुनवाई करना अवांछनीय है तो मजिस्ट्रेट मामले की पुनः सुनवाई कर सकता है। इसलिए न्याय के हित में यह आवश्यक है कि मामले की सुनवाई समन मामले के रूप में की जाए। यदि वर्तमान मामले की सुनवाई समन मामले के रूप में की जाती है तो किसी भी पक्ष को कोई नुकसान नहीं होगा।"
उल्लेखनीय है कि गांधी ने 18 फरवरी को एडवोकेट मिलिंद पवार के माध्यम से आवेदन दायर किया, जिसमें उन्होंने बताया कि इस मामले में शिकायतकर्ता - सत्यकी ने अपनी शिकायत में दावा किया कि सावरकर ने ब्रिटिश शासकों से भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में योगदान दिया। हालांकि, इस पर विवाद करते हुए गांधी ने न्यायालय से आग्रह किया कि इस मुकदमे को 'समन ट्रायल' में बदल दिया जाए, जिससे ऐतिहासिक तथ्यों के रिकॉर्ड मंगाए जा सकें।
हालांकि, सत्यकी ने अपने दादा के खिलाफ कथित अपमानजनक भाषण का कोई ऐतिहासिक महत्व नहीं है। इसलिए गांधी को भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सावरकर के योगदान पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
हालांकि, अदालत ने शिकायतकर्ता की दलीलों को खारिज कर दिया और गांधी द्वारा दायर आवेदन स्वीकार कर लिया।
केस टाइटल: सत्यकी सावरकर बनाम राहुल गांधी (एससीसी 73377/2024)।
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(समाचार & फोटो साभार: लाइव 'ला')
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