
सार्वजनिक परीक्षा में अन्य उम्मीदवारों के अंकों का खुलासा जनहित में RTI के तहत किया जा सकता है: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली (लाइव लॉ): सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट का आदेश बरकरार रखा, जिसमें यह कहा गया कि सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 (RTI Act) के तहत सार्वजनिक परीक्षा में अन्य उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों का खुलासा करने के अनुरोध को जनहित में अस्वीकार नहीं किया जा सकता।
11 नवंबर, 2024 को रिट याचिका में पारित आदेश द्वारा हाईकोर्ट ने RTI Act के तहत जिला कोर्ट, पुणे में जूनियर क्लर्क के पद पर भर्ती में खुद सहित अन्य उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों का खुलासा करने की मांग करने वाली प्रतिवादी की याचिका स्वीकार की थी।
हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क दिया गया कि रैंक हासिल करने और इंटरव्यू के लिए आमंत्रित किए जाने के बावजूद उनका चयन नहीं किया गया। उन्होंने परिणामों और चयन प्रक्रिया के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए RTI Act के तहत आवेदन किया। हालांकि, उनके अनुरोध को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया कि जानकारी "गोपनीय" थी।
इसे खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसी चयन प्रक्रिया में उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों को सामान्यतः “व्यक्तिगत जानकारी” नहीं माना जा सकता, जिसके प्रकटीकरण का किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं है।
हाईकोर्ट ने कहा:
"विधानसभा ने धारा 8(1)(जे) के तहत सभी व्यक्तिगत जानकारी को छूट नहीं दी, बल्कि केवल ऐसी व्यक्तिगत जानकारी को छूट दी, जिसके प्रकटीकरण का किसी सार्वजनिक गतिविधि या हित से कोई संबंध नहीं है। इसी तरह किसी सार्वजनिक पद पर चयन के लिए सार्वजनिक परीक्षा के संदर्भ में हमें संदेह है कि उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त अंकों का प्रकटीकरण ऐसे उम्मीदवारों की गोपनीयता पर किसी भी तरह का अनुचित आक्रमण होगा। विधानमंडल ने जानबूझकर “अनुचित” शब्द का इस्तेमाल किया है। इसलिए किसी व्यक्ति की निजता पर किसी भी तरह के आक्रमण को प्रकटीकरण से छूट नहीं दी जा सकती। केवल वही “अनुचित आक्रमण” है, जिसे प्रकटीकरण से छूट दी गई।"
इस आदेश को अब जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने बरकरार रखा है।
न्यायालय ने कहा:
"हमारा यह भी मानना है कि चिह्नों का खुलासा व्यक्तिगत जानकारी की श्रेणी में आ सकता है, फिर भी इस व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा वर्तमान में जनहित में आवश्यक है। इसलिए यह ऐसी जानकारी नहीं है, जिसे सूचना अधिकारी द्वारा RTI Act, 2005 के तहत नहीं दिया जा सकता। इसके विपरीत, प्रक्रिया में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ऐसी जानकारी का खुलासा किया जाना चाहिए।"
केस टाइटल: लोक सूचना अधिकारी और रजिस्ट्रार एवं अन्य बनाम ओंकार दत्तात्रेय कलमंकर एवं अन्य। | अपील के लिए विशेष अनुमति (सी) संख्या 2783/2025.
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(समाचार & फोटो साभार- लाइव लॉ)
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